मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर दुनिया भर में सबसे सम्मानित क्रिकेटरों में से एक हैं. तेंदुलकर की दीवानगी ऐसी थी कि तीन पीढ़ियां जानती हैं कि वर्ल्ड क्रिकेट में इस खिलाड़ी का कितना बड़ा नाम है. जब सचिन बल्लेबाजी के लिए आते थे तब सभी अपना काम-धंधा छोड़ उनकी बल्लेबाजी देखने लगते थे. लेकिन जब वो आउट होते थे तब सभी टीवी बंद कर देते थे. एक युवा बच्चे से क्रिकेट के दिग्गज तक का तेंदुलकर का सफर किसी सपने से कम नहीं है.
बता दें कि मैदान के अलावा तेंदुलकर मैदान के बाहर भी अपने कामों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने शराब, सिगरेट और तंबाकू कंपनियों के लिए कभी विज्ञापन नहीं किया और करोड़ों रुपए छोड़ दिए. तेंदुलकर ने इन सब चीजों का कभी सपोर्ट नहीं किया. लेकिन लोगों की मदद, चैरिटी और बाकी के जरूरी काम के लिए सचिन हमेशा आगे हैं. करियर से पहले और करियर के बाद में भी सचिन अब तक चैरिटी से जुड़े हैं और लोगों की मदद करते हैं.
बल्ले की नीलामी
ऑस्ट्रेलियाई जंगल की आग के पीड़ितों को दान
प्रदर्शनी चैरिटी गेम में सचिन तेंदुलकर ने एक बार फिर बल्ला उठाया. उन्होंने बिग अपील क्रिकेट मैच में हिस्सा लिया और जंगलों में लगी आग के पीड़ितों की मदद के लिए धन जुटाया. वह मैच में शामिल नहीं हुए लेकिन एक ओवर खेला. पारी के ब्रेक के दौरान एलिस पेरी और एनाबेल सदरलैंड ने उन्हें गेंदबाजी की. इसके अलावा उन्होंने 2011 वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल का अपना बल्ला भी नीलाम किया था.
वंचित स्टूडेंट्स का सपोर्ट
मुंबई स्थित एक गैर-सरकारी संगठन के माध्यम से, तेंदुलकर हर साल 200 वंचित बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा स्पॉन्सर करते हैं. इसके अलावा, वह विभिन्न स्कूलों के छात्रों की स्टेशनरी के सामानों को भी स्पॉन्सर कर उनका सपोर्ट करते हैं.
सचिन ने कैसे की कोविड-19 के दौरान मदद?
तेंदुलकर ने कोविड-19 संकट के दौरान 50 लाख रुपए का दान दिया. आधा पैसा महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री राहत कोष में गया जबकि आधा हिस्सा प्रधानमंत्री केयर्स फंड (पीएम केयर्स फंड) में दान किया गया. 2021 में, तेंदुलकर ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान 'मिशन ऑक्सीजन' में योगदान दिया. उन्होंने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के लिए धन जुटाने में मदद के लिए 1 करोड़ रुपये का दान दिया. कोविड-19 के दौरान, उन्होंने एक अज्ञात राशि से 4,000 वंचित लोगों की मदद की, जिनमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) स्कूलों के बच्चे भी शामिल थे. इसके अलावा, उन्होंने मुंबई के कुछ इलाकों में एक महीने तक 5,000 लोगों को खाना खिलाने का खर्च उठाने का संकल्प लिया.
जागरूकता विज्ञापनों के लिए कोई फीस नहीं
तेंदुलकर पोलियो जैसे कई सरकारी जागरूकता विज्ञापनों में नजर आ चुके हैं. हालांकि, उन्होंने इनमें से किसी भी विज्ञापन के लिए कभी पैसे नहीं लिए. 2013 में, बाढ़ के कारण उत्तराखंड के लोगों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. उन्होंने प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों के मदद के लिए राहत कोष में 51 लाख रुपये का दान दिया.
बेटी के जन्मदिन पर भी दान
सचिन की बेटी सारा तेंदुलकर का जन्मदिन हर साल मुंबई की झुग्गियों में मनाया जाता है. सचिन ने इसको लेकर कहा है कि मेरी बेटी ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि हर कोई पैसे बांटता है. लेकिन साल का ये समय ऐसा होता है जब आप हर किसी की मदद कर सकते हैं. इसलिए मैंने ये सोचा कि मैं कोचिंग के आधे दिन का पैसा इन बच्चों के लिए दान करूंगा. मेरी बेटी के चलते मैं ये चैरिटी करता हूं.
सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन
सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन की स्थापना उन लोगों, संस्थानों और संसाधनों को एक साथ लाने के लिए एक मंच देने के लिए की गई थी जो सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए उत्साहित हैं. फाउंडेशन बच्चों को समान अवसर और उनके लिए बेहतर दुनिया बनाने में मदद करता है.
इसके अलावा सचिन कैंसर पीड़ितों के लिए सोशल मीडिया के जरिए 1 करोड़ रुपए से ज्यादा जुटा लोगों की मदद कर चुके हैं. वहीं वो आंखों को डोनेशन कैंप में भी हिस्सा ले चुके हैं और उन लोगों की मदद करते हैं जो गरीबी के चलते आंख का ऑपरेशन नहीं करवा सकते.
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