भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैचों का इतिहास कई बार बाधित हुआ है। 1962 से 1977 तक दोनों देशों के बीच कोई क्रिकेट नहीं खेली गई थी। 90 के दशक में भी पाकिस्तान ने कई बार टूर्नामेंट से पुलआउट किया, जिसमें 1990 का एशिया कप और 1993 का हीरो कप शामिल है। 1996 के बाद टोरोंटो में भारत और पाकिस्तान के बीच पांच-छह साल तक खेलने का एक समझौता हुआ था, लेकिन यह केवल तीन साल ही चला। 1999 में कारगिल युद्ध के कारण दोनों देशों के बीच मैच नहीं खेला गया था। हाल ही में एशिया कप को लेकर भी विवाद गहराया है। एक तर्क यह दिया गया कि एशिया कप से होने वाली कमाई का एक हिस्सा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मिलेगा, जो टैक्स के रूप में अपनी सरकार को देगा। यह सरकार पाकिस्तानी सेना द्वारा नियंत्रित है, और सेना इस पैसे का उपयोग आतंकवाद में कर सकती है। इस पर एक विचार यह भी सामने आया कि "ये मेरा पर्सनल पॉइंट ऑफ क्यूँ है? बट अगर एस ए प्रोफेशनल मैं सोचूं, मैं एक ऑर्गेनाइजेशन के लिहाज से सोचूं। मैं एक क्रिकेट फन के लिहाज से सोचूं मैं एक। शायद से ऐसे सोचूं कि यार आमदनीया भी तो है, लोगों का घर भी चलता है, बहुत कुछ होता है किसी ने 10,000 करोड़ डाल रही है किसी ने तो उस पे मेरा क्यूँ एग्ज़ैक्ट्ली वही है जो आपने अभी।" संसद में सवाल उठने के बावजूद सरकार ने एशिया कप को नहीं रोका। भारतीय ब्रॉडकास्टर और स्पॉन्सरशिप राइट्स भी भारतीय कंपनियों के पास हैं।
भारत-पाक क्रिकेट का इतिहास और एशिया कप पर गहराया विवाद!
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैचों का इतिहास कई बार बाधित हुआ है। 1962 से 1977 तक दोनों देशों के बीच कोई क्रिकेट नहीं खेली गई थी। 90 के दशक में भी पाकिस्तान ने कई बार टूर्नामेंट से पुलआउट किया, जिसमें 1990 का एशिया कप और 1993 का हीरो कप शामिल है। 1996 के बाद टोरोंटो में भारत और पाकिस्तान के बीच पांच-छह साल तक खेलने का एक समझौता हुआ था, लेकिन यह केवल तीन साल ही चला। 1999 में कारगिल युद्ध के कारण दोनों देशों के बीच मैच नहीं खेला गया था। हाल ही में एशिया कप को लेकर भी विवाद गहराया है। एक तर्क यह दिया गया कि एशिया कप से होने वाली कमाई का एक हिस्सा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मिलेगा, जो टैक्स के रूप में अपनी सरकार को देगा। यह सरकार पाकिस्तानी सेना द्वारा नियंत्रित है, और सेना इस पैसे का उपयोग आतंकवाद में कर सकती है। इस पर एक विचार यह भी सामने आया कि "ये मेरा पर्सनल पॉइंट ऑफ क्यूँ है? बट अगर एस ए प्रोफेशनल मैं सोचूं, मैं एक ऑर्गेनाइजेशन के लिहाज से सोचूं। मैं एक क्रिकेट फन के लिहाज से सोचूं मैं एक। शायद से ऐसे सोचूं कि यार आमदनीया भी तो है, लोगों का घर भी चलता है, बहुत कुछ होता है किसी ने 10,000 करोड़ डाल रही है किसी ने तो उस पे मेरा क्यूँ एग्ज़ैक्ट्ली वही है जो आपने अभी।" संसद में सवाल उठने के बावजूद सरकार ने एशिया कप को नहीं रोका। भारतीय ब्रॉडकास्टर और स्पॉन्सरशिप राइट्स भी भारतीय कंपनियों के पास हैं।

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