शानदार कप्तानी, ताबड़तोड़ बल्लेबाजी और बिजली की रफ्तार से विकेटकीपिंग, इन सभी खूबियों के साथ भारतीय टीम के दिग्गज़ महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) में एक और खासियत थी जो आम तौर पर हर किसी में देखने को नहीं मिलती. धोनी मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी खुद को शांत रखना जानते थे. धोनी ने अपनी इस कला को खुद तक ही सीमित नहीं रखा. तमाम ऐसे युवा खिलाड़ी हैं जिन्हें वक्त-वक्त पर उनसे शांत रहने की कला को सीखने का मौका मिला है. महाराष्ट्र की ओर से खेलते हुए लगातार सात छक्के लगाने और दोहरा शतक बनाने वाले वाले ऋतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) को भी भावनात्मक तौर पर न्यूट्रल रहना धोनी ने ही सिखाया था. इसका खुलासा आकाश चोपड़ा के साथ बातचीत में उन्होंने खुद किया है. उनका कहना है कि धोनी ने हार और जीत दोनों कंडीशन में शांत रहना सिखाया.
ऋतुराज गायकवाड़ ने विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में स्पिनर शिवा सिंह को लगातार 7 छक्के लगाए. ऋतुराज ने इस मैच में 159 गेंदों पर नाबाद 220 रन की पारी खेली. इस पारी में उनके बल्ले से 10 चौके और 16 छक्के निकले. अपनी इस शानदार पारी के बाद ऋतुराज गायकवाड़ ने आकाश चोपड़ा के साथ बातचीत में बताया कि किसी भी हालात में न्यूट्रल रहना धोनी से ही सीखा है. उन्होंने कहा, "एमएस धोनी ने मुझे सिखाया कि जब चीजें आपके हिसाब से नहीं चल रही हों तो कैसे न्यूट्रल रहना चाहिए. जब आप जीत की तरफ हों तब भी न्यूट्रल रहना महत्वपूर्ण है. जीतें या हारें, एमएस धोनी ने सुनिश्चित किया कि टीम का माहौल अच्छा रहे."
‘आराम करो लड़कों, ऐसा होता है’
गायकवाड़ ने यह भी बताया कि कैसे धोनी अपनी टीम मीटिंग को छोटा रखते थे और चर्चा इस बात पर भी होती थी कि हर मैच जीतना संभव नहीं है.