बात ओलिंपिक 1956 की है, जो ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में खेला गया था. उस ओलिंपिक में एक महिला समेत कुल 59 भारतीय प्लेयर्स ने 8 खेलों में अपनी चुनौती पेश की थी. कई खेलों में भारत का सफर शुरू होने के साथ ही खत्म हो गया तो कुछ खेलों में सफर एक या दो कदम आगे बढ़कर खत्म हुआ, मगर एक खेल ऐसा था, जिसमें इतिहास रचना बाकी थी. उस खेल में भारत का दबदबा था, मगर ये देखने का इंतजार था कि फाइनल में क्या होता है. पूरी दुनिया की नजर उस मैच पर थी. गोल्ड मेडल के लिए खेल की दुनिया की सबसे बड़ी राइवलरी आमने सामने थी.
मैदान हॉकी का था, जिसमें भारत खिताब जीतते हुए आ रहा था. सामने पाकिस्तान था, जिसके ज्यादातर खिलाड़ी भारतीय खिलाड़ियों के दोस्त थे. कभी साथ खेले थे. साथ मिलकर देश के लिए कई मेडल जीते थे, मगर 1956 में हॉकी के फाइनल का वो नजारा बिल्कुल अलग था. अब वहीं दोस्त आमने सामने मैदान पर उतरे. भारतीय टीम जर्मनी को 1-0 से हराकर खिताबी मुकाबले में पहुंची थी, जबकि पाकिस्तान की टीम सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-2 से हराकर फाइनल में पहुंची.
खिताबी मुकाबले में पाकिस्तान को हराया
1956 में भारत के नाम ओलिंपिक रिकॉर्ड
- ओलिंपिक इतिहास में भारत का ये लगातार छठा गोल्ड था. भारत ने 1928 से 1956 के बीच लगातार छह गोल्ड जीते थे, जो एक ओलिंपिक रिकॉर्ड बना.
- भारतीय टीम ने 1928 ओलिंपिक के बाद 1956 ओलिंपिक में एक भी गोल नहीं खाया था. किसी एक टूर्नामेंट में सबसे कम गोल खाने का ये ओलिंपिक रिकॉर्ड है.
1956 ओलिंपिक में 17 खिलाड़ियों के दम पर भारत ने ओलिंपिक रिकॉर्ड बनाया. ये खिलाड़ी हैं -
लेस्ली क्लॉडियस, रंगनाथन फ्रांसिस, हरिपाल कौशिक, अमीर कुमार, रघबीर लाल, शंकर लक्ष्मण, गोविंद पेरुमल,अमित सिंह बख्शी, रघबीर सिंह भोला, बलबीर सिंह दोसांझ, हरदयाल सिंह गार्ची, रणधीर सिंह जेंटल, बालकिशन सिंह ग्रेवाल, गुरदेव सिंह कुल्लर, उधम सिंह कुल्लर, बख्शीश सिंह और चार्ल्स स्टीफन
हॉकी में भारत में ओलिंपिक
गोल्ड: 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964, 1980
सिल्वर: 1960
ब्रॉन्ज: 1968, 1972, 2020
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