भारत और जर्मनी (India vs Germany ) की टीम हॉकी ओलिंपिक क्वालिफायर (FIH Hockey Olympic Qualifier) के सेमीफाइनल में आमने सामने होगी. सेमीफाइनल जीतने वाली टीम पेरिस ओलिंपिक का टिकट भी हासिल कर लेगी. भारत अमेरिका, न्यूजीलैंड और इटली के साथ ग्रुप बी में था. भारत की इस टूर्नामेंट में अभियान अमेरिका के हाथों हार के साथ शुरू हुआ था, मगर इसके बाद सविता पूनिया की टीम ने न्यूजीलैंड और इटली को हराकर इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में एंट्री की. ग्रुप बी में टॉप पर रहने के कारण भारत का सामना ग्रुप ए की टॉपर जर्मनी से है. जबकि ग्रुप बी की टॉपर अमेरिका का सामना ग्रुप ए की दूसरे नंबर की टीम जापान से है.
अमेरिका ने भारत को पहले ही मैच में हराकर मुश्किल में डाल दिया था. अमेरिकी ने भारत को 1-0 से हराया था. भारत को मुश्किल में डालने वाली अमेरिकी टीम के प्लेयर्स की कहानी भी गजब है. अमेरिका महिला हॉकी टीम का हाथ में हॉकी स्टिक थामने का मूल मकसद मुफ्त शिक्षा की सुविधा हासिल करना है. इसी वजह से कुछ प्लेयर्स ने हॉकी पसंन ना होने के बावजूद इस खेल के लिए मैदान में कदम रखा.
हॉकी खेलने वालों को मिलती है कॉलेज में स्कॉलरशिप
भारत में खिलाड़ियों के इंटरनेशनल स्तर पर अच्छे प्रदर्शन पर करोड़ों रुपये ईनाम में दिये जाते हैं और इसके अलावा हॉकी का बेहतरीन ढांचा है, लेकिन अमेरिका में हॉकी पेशेवर खेल भी नहीं है. अमेरिका में हॉकी खेलने वालों को कॉलेज में स्कॉलरशिप मिलती है. एफआईएच ओलिंपिक क्वालीफायर खेल रही अमेरिकी महिला हॉकी टीम में स्टानफोर्ड यूनिवर्सिटी से एक मैकनिकल इंजीनियर भी है. ये खिलाड़ी अमेरिका की गोलकीपर केसले बिंग है. कप्तान अमांडा गोलिनी का कहना है-
अमेरिकी महिला हॉकी टीम ने 6 ओलिंपिक खेले हैं और 1984 में लॉस एंजिलिस में कांस्य पदक जीता. विश्व कप में अमेरिकी महिला टीम नौ बार उतरी और 1994 में कांस्य पदक जीता. अमेरिका के कोच डेविड पासमोर का कहना है-
अमेरिका में क्लब कल्चर नहीं है. कॉलेज से निकलने के बाद आपके पास हॉकी खेलने के लिये प्लेटफॉर्म ही नहीं है. या तो आप राष्ट्रीय टीम के लिये खेलें या खत्म. जब मैं यूरोप ये यहां पहली बार आया तो भारत में हॉकी का ढांचा देखकर दंग रह गया था.