पीआर श्रीजेश ने शेयर की प्रधानमंत्री से मिली चिट्ठी, मोदी ने लिखा- आप जूनियर टीम के कोच के रूप में कमाल करेंगे

पीआर श्रीजेश ने शेयर की प्रधानमंत्री से मिली चिट्ठी, मोदी ने लिखा- आप जूनियर टीम के कोच के रूप में कमाल करेंगे
സ്വീകരണം മാറ്റിയതറിയാതെ പി ആർ ശ്രീജേഷ് തിരുവനന്തപുരത്തേക്കെത്തിയിരുന്നു

Highlights:

पीआर श्रीजेश ने पेरिस ओलिंपिक 2024 के साथ बतौर खिलाड़ी हॉकी से संन्यास ले लिया.

भारतीय हॉकी की दीवार कहे जाने वाले पीआर श्रीजेश एशियाई खेलों में दो स्वर्ण और चैम्पियंस ट्रॉफी में दो रजत भी जीत चुके हैं.

हॉकी को अलविदा कह चुके महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला पत्र सोशल मीडिया पर साझा किया. इसमें प्रधानमंत्री ने खेल में उनके योगदान की सराहना करते हुए विश्वास जताया है कि वह नए राष्ट्रीय जूनियर कोच के रूप में भी उतने ही प्रभावी होंगे. टोक्यो ओलिंपिक के बाद पेरिस में कांस्य जीतने के बाद श्रीजेश ने हॉकी से विदा ली. भारतीय हॉकी की दीवार कहे जाने वाले श्रीजेश एशियाई खेलों में दो स्वर्ण और चैम्पियंस ट्रॉफी में दो रजत भी जीत चुके हैं.

हॉकी इंडिया ने उन्हें जूनियर टीम का नया मुख्य कोच बनाया है. प्रधानमंत्री मोदी ने 16 अगस्त को लिखे पत्र में लिखा, ‘मुझे विश्वास है कि नई भूमिका में भी आपका काम उतना ही प्रभावी और प्रेरणास्पद होगा. आपने खेल से विदा लेने का फैसला किया है और मैं भारतीय हॉकी में आपके अपार योगदान की ह्रदय से सराहना करता हूं.’

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, ‘मुझे विश्वास है कि आपका जुनून, प्रतिबद्धता और समर्पण अगली पीढ़ी के विश्व विजेताओं को तैयार करेगा. मैं आपको आपके अथक समर्पण, शानदार करियर और भारत को गौरवान्वित करने के लिए धन्यवाद देता हूं. इन सभी यादों के लिए धन्यवाद और भविष्य के लिए शुभकामना.’

श्रीजेश ने प्रधानमंत्री मोदी का पत्र साझा करते हुए एक्स पर लिखा, ‘मेरे संन्यास पर नरेंद्र मोदी सर का पत्र मिला. हॉकी मेरा जीवन है और मैं खेल की सेवा करता रहूंगा. भारत को हॉकी की महाशक्ति बनाने के लिये काम करता रहूंगा जिसकी शुरुआत 2020 और 2024 ओलिंपिक पदकों से हो गई है. मुझ पर विश्वास जताने के लिये धन्यवाद प्रधानमंत्री सर.’

श्रीजेश के करियर के बारे में मोदी ने 2014 एशियाई खेलों में उनके प्रदर्शन को याद किया. इसके अलावा रियो, टोक्यो और पेरिस ओलिंपिक में उनके प्रदर्शन का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा, ‘ऐसी अनगिनत यादें हैं और इनके लिए एक पत्र पर्याप्त नहीं है. आपको मिले विभिन्न पुरस्कार, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक बताते हैं कि आपने किन ऊंचाइयों को छुआ है. लेकिन इसके बावजूद आपकी विनम्रता और गरिमा, मैदान से भीतर और बाहर, प्रशंसनीय है.’