पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत को एक और निराशा हाथ लगी है. पुरुष बॉक्सिंग में भारत की इकलौती उम्मीद निशांत देव को मेक्सिको के मार्को वर्डे ने हरा दिया है. निशांत को पुरुषों के 71 किलो कैटेगरी में 4-1 से हार मिली. निशांत ने शुरुआत अच्छी की लेकिन बाद में वो पासा नहीं पलट पाए. साल 2008 में विजेंद्र सिंह के जरिए जीते गए मेडल के बाद से अब तक कोई भी भारतीय पुरुष बॉक्सर ओलिंपिक में मेडल नहीं ला पाया है. उनके बाद दो महिला बॉक्सर्स ही मेडल लाने में कामयाब हो पाईं हैं. इसमें मैरी कॉम और लवलीना बोरगोहेन का नाम शामिल है.
निशांत ने अटैकिंग शुरुआत की जबकि मार्को सेंटर कोर्ट को पकड़कर चल रहे थे. निशांत पहले राउंड के पहले मिनट में काफी तेज नजर आए थे और अटैक कर रहे थे. निशांत ने पहले राउंड में मार्को वर्डे के डिफेंस को पूरी तरह चकनाचूर कर दिया और 3-4 पंचेस उनके मुंह पर दिए. ऐसे में पहले राउंड में 4 जज निशांत के पक्ष में रहे. दूसरे राउंड में भी निशांत ने पहले राउंड कु दोहराया और वर्डे पर लगातार हमला बोला. वर्डे निशांत के हमले से बच नहीं पाए. वर्डे कवर करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वो चूक रहे थे. वर्डे इस दौरान दबाव में लगे और उन्होंने निशांत को कॉर्नर पर ढकेल दिया. हालांकि दूसरा राउंड निशांत ने गंवा दिया.
दो राउंड के बीच निशांत देव अच्छा खेल दिखा रहे थे लेकिन ये काफी कम था. तीसरे राउंड में उन्हें अपना सबकुछ झोंक देना था. तीसरा राउंड दोनों के बीच बराबरी का रहा. हालांकि अंतिम दो राउंड हारने से निशांत ये मुकाबला 4-1 से हार गए. निशांत अंत में काफी ज्यादा थक गए थे.
निशांत का करियर
निशांत देव के करियर की बात करें तो उन्होंने बैंकॉक में विश्व मुक्केबाजी क्वालीफायर में पुरुषों के 71 किग्रा क्वार्टर फाइनल में मोल्दोवा के वासिले सेबोटारी को 5-0 से हराकर पेरिस ओलिंपिक के लिए अपना स्पॉट बुकर कर लिया था. वह निकहत जरीन (महिला 50 किग्रा), प्रीति पवार (महिला 54 किग्रा) और टोक्यो ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन (महिला 75 किग्रा) के बाद पेरिस ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले चौथे भारतीय मुक्केबाज हैं. 23 साल के निशांत उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित 2023 विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता हैं. उस प्रतियोगिता में उनके प्रदर्शन में क्वार्टर फाइनल में क्यूबा के जॉर्ज क्यूएलर पर 5-0 की प्रसिद्ध जीत शामिल थी. वह 2021 में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में एलीट वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने पर सुर्खियों में आए.
हरियाणा के करनाल जिले से ताल्लुक रखने वाले निशांत ने 2012 में अपने चाचा से प्रेरित होकर बॉक्सिंग शुरू की, जो एक पेशेवर बॉक्सर थे. वह कोच सुरेंदर चौहान के मार्गदर्शन में करण स्टेडियम में प्रशिक्षण लेते थे. निशांत के पिता उन्हें सुबह 4 बजे जगाते थे और प्रशिक्षण के लिए उनके साथ जाते थे और शाम को भी ऐसा ही करते थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके बेटे को अच्छी तरह से प्रशिक्षण मिले.
कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करते हुए, वह 2019 में बद्दी में अपनी पहली सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल में हार गए, लेकिन उन्होंने भारतीय मुक्केबाजी के तत्कालीन निदेशक सैंटियागो नीवा को प्रभावित किया और आगे की स्किल्स सीखने के लिए वो भारतीय कैंप में शामिल हो गए. 2021 में उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और विश्व चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया. यह उनके करियर का पहला अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट था.
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