Exclusive: कार और ट्रक देखकर घबराने वाली अवनि लेखरा कैसे पहुंची ड्राइविंग सीट पर, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलीं- व्हीलचेयर से...

Exclusive: कार और ट्रक देखकर घबराने वाली अवनि लेखरा कैसे पहुंची ड्राइविंग सीट पर, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलीं- व्हीलचेयर से...
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बातचीत के दौरान अवनि लेखरा

Highlights:

अवनि ने कहा कि उन्होंने कार सीख ली हैअवनि ने अपनी कार को मॉडिफाई करवाया है

भारत की पैरालिंपिक गोल्ड मेडल विजेता निशानेबाज अवनि लेखरा ने हर उस व्यक्ति को फिर से चलने का हौंसला दिया है जो जिंदगी में हार मान कर रुक गए हैं. इंडिया टुडे मुंबई कॉन्क्लेव में अवनि ने अपनी पूरी कहानी बताई और कहा कि कार दुर्घटना के बाद मैंने फिर से गाड़ी चलाना शुरू कर दिया है जिससे मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी है.

 

साल 2011 में 11 साल की उम्र में अवनि की कार का एक्सीडेंट हो गया था जिसके कारण वह चलने में असमर्थ हो गईं थीं. इस दुर्घटना ने उन पर गहरा असर डाला, जिससे उन्हें कार या किसी भी तरह के ऑटोमोबाइल में यात्रा करने का डर पैदा हो गया. इसके बावजूद, उनकी मानसिक शक्ति और दृढ़ संकल्प ने उन्हें उन डरों पर काबू पाने में मदद की.

 

कार के साथ वापस जुड़कर मेरी जिंदगी बदल गई

 

अवनि ने कहा, "मैं कार की पिछली सीट पर सो रही थी. जब मैं उठी, तो मेरी जिंदगी 360 डिग्री पूरी तरह बदल चुकी थी. एक दिन आप नाच रहे होते हैं, गा रहे होते हैं, अपनी जिंदगी का मजा ले रहे होते हैं और अगले दिन आप अपने पैर भी नहीं हिला पाते, बैठ भी नहीं पाते. उसके बाद, व्हीलचेयर पर अपनी जिंदगी जीना इतना मुश्किल हो गया कि व्हीलचेयर से कार में शिफ्ट होना मुश्किल हो गया. जब मैं ट्रक जैसी बड़ी गाड़ियों को देखती थी तो मैं उनसे दूर रहना चाहती थी. वैसे भी भारत में व्हीलचेयर पर सड़क पर यात्रा करना मुश्किल है. यह पूरी तरह से बंद हो गया क्योंकि मुझे हमेशा किसी की जरूरत होती थी."

 

अवनि ने कहा, "वहां से भारत के लिए खेलना और जीतने के लिए दुनिया भर की यात्रा करना. ये मेरे लिए लंबा सफर रहा है." अब, अवनी ड्राइवर की सीट पर वापस आ गई हैं और अपनी जरूरतों के हिसाब से बनाई गई एक खास तरह की मॉडिफाइड कार चला रही है. अवनि ने आगे कहा कि, "जब मैंने बाहर जाकर दुनिया को देखा तो बहुत से एथलीट मुझसे भी ज्यादा विकलांग थे. लेकिन फिर भी मुझसे बेहतर जिंदगी जी रहे थे. इससे मुझे भी ऐसा करने की इच्छा हुई. फिर मैंने बहुत से एथलीटों को देखा जो खुद ही गाड़ी चलाते थे और अपना सारा काम खुद ही करते थे. इससे मुझे प्रेरणा मिली."

 

अवनि ने बताया कि, "हमने कार में ब्रेक और बाकी सब चीजों में कुछ बदलाव किए. यह मेरे लिए एक रोमांचक अनुभव था और एक समय ऐसा आया जब मैं रुकना चाहती थी. लेकिन प्रशिक्षक बहुत मददगार थे. जब मैंने इसे सीखा तो यह मेरे लिए एक बड़ी बात थी और यह एक बहुत ही यादगार चीज बन गई." अवनि तीन पैरालिंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पैरा-एथलीट बनीं. टोक्यो 2020 में अवनि ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक और महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन SH1 में कांस्य पदक जीता है. उन्होंने पैरालिंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में भी इतिहास रचा है.

 

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