नई दिल्ली. व्यक्तिगत इवेंट में भारत के दो ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट. दोनों एक ही मंच पर. एक साल 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में दस मीटर एयर राइफल में इतिहास रचने वाले अभिनव बिंद्रा. तो दूसरी ओर, 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में जैवलिन थ्रो में स्वर्ण अपने नाम करने वाले नीरज चोपड़ा. अभिनव और नीरज दोनों शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एकसाथ मौजूद थे. इसी दौरान नीरज चोपड़ा ने अभिनव बिंद्रा से अपनी मुलाकात और खुद अपने खेल के बारे में कई दिलचस्प खुलासे किए. नीरज चोपड़ा ने मौजूदा कोच जर्मनी के क्लाउस बार्टोनिट्ज से अपने मजबूत रिश्ते पर कहा, कोच पर मुझे इतना विश्वास है कि कोच कहेंगे कि छत से कूदने से ज्यादा दूर तक थ्रो चली जाएगी तो मैं छत से भी कूद जाऊंगा. नीरज ने कहा, मुझे ट्रेनिंग में सीरियस रहना पसंद नहीं है. क्लाउस मजाक मजाक में ट्रेनिंग करा देते हैं. उनसे मेरा तालमेल अच्छा है. कई कोच ऐसे होते हैं जो डंडा पकड़कर पीछे खड़े होते हैं लेकिन क्लाउस सर ऐसे नहीं हैं. ट्रेनिंग के उनके तरीके मेरे अनुकूल हैं और मेरी उनसे काफी अच्छी बनती है. मैं अगले ओलंपिक के लिए भी उनके साथ प्रशिक्षण जारी रखना चाहता हूं. चोपड़ा 2019 से बार्टोनिट्ज से ट्रेनिंग ले रहे हैं.
45 मिनट तक साइकिल चला दी तो टांके गल गए
नीरज चोपड़ा कोहनी की गंभीर चोट से उबरकर ओलिंपिक के लिए वापसी कर रहे थे. नीरज को ये चोट साल 2019 में दोहा वर्ल्ड चैंपियनशिप से ठीक पहले लगी थी. इस बारे में उन्होंने बताया, डॉक्टर ने सर्जरी के बाद लंबा बेड रेस्ट बोला, लेकिन कुछ दिन बाद थोड़ी फिटनेस एक्सरसाइज करने की अनुमति दे दी, जिसमें साइक्लिंग भी शामिल थी. लेकिन मैं इतना ज्यादा उत्साहित हो गया कि लगातार 45 मिनट तक साइक्लिंग की जिससे मेरे टांके गल गए. इसके बाद मुझे 10 से 15 दिन और बेड रेस्ट करने को कहा गया. मुझे ट्रेनिंग में बिल्कुल दिक्कत नहीं हुई लेकिन बेड रेस्ट से हुई क्योंकि तब आप कुछ कर ही नहीं सकते.
जहां मैं खेल नहीं पाया वहां कम दूरी में गोल्ड जीत ले जाते थे एथलीट
अस्पताल में बिताए अपने दिनों के बारे में नीरज चोपड़ा ने एक और दिलचस्प खुलासा किया. उन्होंने कहा कि उन दिनों मुझे ऐसा लगने लगा था कि जहां मैं नहीं खेलता हूं तो वहां कम दूरी में मेडल आ जाता है. जैसे दोहा वर्ल्ड चैंपियनशिप में में 86 मीटर पर गोल्ड आ गया. डायमंड लीग में 83 मीटर में स्वर्ण पदक आया. यहां तक कि कॉमनवेल्थ गेम्स से आने के बाद दोहा डायमंड लीग में मैंने 87.3 मीटर की दूरी तय की. ये मेरा पर्सनल बेस्ट था. मुझे लगा अब तो पदक मिलेगा. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि तीनों ने 90 से ज्यादा मीटर की दूरी तय कर ली और मैं चौथे स्थान पर रह गया.