हरविंदर सिंह ने बुधवार को पेरिस पैरालिंपिक में तीरंदाजी में भारत के लिए ऐतिहासिक पहला गोल्ड जीता. हरविंदर ने पुरुषों के इंडिविजुअल रिकर्व ओपन फाइनल में पोलैंड के लुकास सिसजेक को 6-0 (28-24, 28-27, 29-25) से हराकर पैरालिंपिक गेम्स में अपना दूसरा लगातार पदक जीता. उन्होंने तीन साल पहले पेरिस में इसी कैटेगरी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. इस तरह वो इस इवेंट के पोडियम पर खड़े होने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बन गए.
इससे पहले, हरविंदर ने सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मद रजा अरब अमेरी को 1-3 से हराकर 7-3 (25-26, 27-27, 27-25, 26-24, 26-25) से हराया था. पेरिस में, यह भारत का तीरंदाजी में दूसरा पदक है, इससे पहले शीतल देवी और राकेश कुमार ने मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन इवेंट में कांस्य पदक जीता था.
हरविंदर के पदक से भारत के पदकों की संख्या 22 हो गई है. यह किसी एक एडिशन में देश के लिए सबसे ज्यादा मेडल्स हैं जो टोक्यो में बनाए गए 19 पदकों के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है. रैंकिंग राउंड में नौवें स्थान पर रहने वाले हरविंदर ने पेरिस में नॉकआउट चरणों में चीनी ताइपे के त्सेंग लुंग-हुई पर 7-3 (25-25, 27-26, 26-29, 24-23, 25-17) की जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने इंडोनेशिया के सेतियावान पर 6-2 (27-28, 28-25, 28-27, 28-15) की जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में एंट्री की.
हरविंदर गुरुवार को मिक्स्ड टीम रिकर्व ओपन स्पर्धा में पूजा के साथ मिलकर विरोधी को टक्कर देंगे.
हरविंदर का सफर
हरियाणा के कैथल के सुदूर गांव से आने वाले हरविंदर को डेढ़ साल की उम्र डेंगू हो गया था जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें इंजेक्शन लगाया था. इसका भयानक असर उनपर हुआ और उनके पैरों ने ठीक से काम करना बंद कर दिया. उन्होंने पहली बार इस खेल को तब देखा जब 2010 में पंजाबी विश्वविद्यालय में कुछ तीरंदाज ट्रेनिंग ले रहे थे. दो साल बाद, उन्होंने लंदन पैरालिंपिक में भाग ले रहे एथलीट्स को देखा और फिर उन्होंने खेल में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी.
वह पहली बार तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने जकार्ता में 2018 एशियाई पैरा खेलों में पुरुषों की व्यक्तिगत रिकर्व ओपन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता. वह पदक उनकी मां के निधन के ठीक 20 दिन बाद आया था. तीन साल बाद, उन्होंने टोक्यो में खेल में देश का पहला पैरालिंपिक पदक जीतकर इतिहास रच दिया. पिछले साल, हरविंदर हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों में पुरुषों की युगल रिकर्व स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे.
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