पैरालिंपिक में भारत के हिस्से एक और मेडल आया है और ये बैडमिंटन में आया है. सुहास यतिराज ने सोमवार को पेरिस के ला चैपल एरिना कोर्ट 1 में चल रहे पैरालिंपिक में फ्रांस के लुकास माजुर से 9-21, 13-21 से हारने के बाद पुरुष एकल SL4 वर्ग में रजत पदक जीता. मेंस सिंगल्स एसएल4 कैटेगरी में सुहास को ये मेडल मिला है. यानी की अब भारत की झोली में कुल 12 मेडल्स हो चुके हैं.
इस तरह सुहास इस कैटेगरी में कई पदक जीतने वाले भारत के पहले पैरा शटलर बन गए. 41 वर्षीय सुहास ने 2021 में टोक्यो पैरालिंपिक में भी रजत पदक जीता था. सुहास ने इंडोनेशिया के हिकमत रामदानी और दक्षिण कोरिया के ह्वान क्यूंग शिन के खिलाफ सीधे गेम में जीत के साथ अपने दोनों ग्रुप स्टेज मैच जीते थे.
फाइनल में संघर्ष करते दिखे सुहास
सेमीफाइनल में उनका सामना हमवतन सुकांत कदम से हुआ. अपनी जीत का सिलसिला जारी रखते हुए सुहास ने सुकांत को 2-0 से हराकर लगातार दूसरे पैरालिंपिक के फाइनल में प्रवेश किया. इस साल की शुरुआत में उन्होंने थाईलैंड में BWF पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में एकल में स्वर्ण पदक जीता था.
बता दें कि एसएल4 उन खिलाड़ियों के लिए डिजाइन किया गया है जिनके शरीर के एक तरफ, दोनों पैरों में सीमित गति होती है या जिनके किसी अंग में मामूली कमी होती है. सुहास, जो विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी भी हैं उन्होंने तीन साल पहले टोक्यो में रजत पदक जीता था लेकिन वो गोल्ड मेडल मैच से चूक गए. यह मैच पूरी तरह से एकतरफा रहा क्योंकि सुहास, जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप और एशियाई पैरा खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते हैं वो पूरी तरह संघर्ष करते दिखे. सुहास पहले गेम में 12 अंकों की बड़ी बढ़त गंवाकर पिछड़ गए.
इसके बाद, वह वापसी नहीं कर सके और लुकास ने 14 मिनट में पहला गेम जीत लिया. सुहास ने दूसरे गेम की शुरुआत शानदार तरीके से की, लेकिन उनके फ्रांसीसी प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें लंबे समय तक हावी नहीं होने दिया. 20-13 के स्कोर पर, लुकास ने सात गेम पाइंट अर्जित किए और अंत में उन्होंने मैच को अपनी तरफ खींच इसे खत्म कर दिया.
कौन हैं सुहास?
बता दें कि बैडमिंटन खेलने के अलावा सुहास भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी भी हैं. कर्नाटक के हसन में जन्मे सुहास ने टखने की कमजोरी को दूर करके खेल और शिक्षा दोनों में ही उत्कृष्टता हासिल की है. सुहास ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सुरथकल से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरी की और 2006 में सिविल सेवा परीक्षा पास की.
उन्होंने गौतम बुद्ध नगर और प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट सहित कई पदों पर काम किया है. बैडमिंटन में उन्होंने पैरालिंपिक में पदक जीतने और पुरुष एकल में शीर्ष रैंक वाले खिलाड़ी बनने सहित कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. वे पैरालिंपिक पदक जीतने वाले पहले और एकमात्र सेवारत आईएएस अधिकारी हैं. इसके अलावा उन्हें अर्जुन पुरस्कार और उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, यश भारती सहित कई पुरस्कार भी मिले हैं.
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