बीते दिनों एशियन गेम्स (Asian games) में भारतीय प्लेयर्स ने कमाल किया और भारत के 100 मेडल पार के टारगेट को भी पूरा किया. अब पूरे देश की नजर पैरा एशियन गेम्स (Asian Para Games) पर है, जहां फिर से भारतीय प्लेयर्स का दबदबा है. प्रवीण कुमार (Praveen kumar) ने भारत को मैंस हाई जंप T64 में गोल्ड मेडल दिला दिया है. चीन में उन्होंने तिरंगा लहरा दिया है. उनकी पैरों की कमजोरी भी उन्हें यहां तक पहुंचने से नहीं रोक पाई. प्रवीण को यहां तक पहुंचाने में गूगल का भी बहुत बड़ा हाथ रहा.
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दरअसल उन्हें स्कूल टाइम से ही खेलों में दिलचस्पी थी, मगर उस समय वो नहीं जानते थे कि वो एक दिन इस लेवल तक पहुंचेंगे. वो स्कूल के शुरुआती दिनों में वॉलीबॉल खेलते थे, मगर फिर धीरे-धीरे उन्हें पैरा एथलेटिक्स के बारे में पता चला और उन्होंने हाई जम्प में कदम रखा. उन्हें गूगल पर सर्च करने के बाद पैरा एथलेटिक्स और उसमें हिस्सा लेने के बारे में पता चला था.
बाद में मिलने लगा सपोर्ट
प्रवीण एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. नोएडा के रहने वाले प्रवीण के पिता किसान हैं. वो जन्म से ही विकलांग हैं, मगर उन्होंने अपनी उड़ान के बीच अपनी कमजोरी को कभी भी नहीं आने दिया. स्कूल में पहले उनके टीचर्स ये ही सोचते थे कि वो स्पोर्ट्स में कैसे अच्छा करेंगे, मगर उनकी हिस्मत को देखने के बाद टीचर्स उन्हें सपोर्ट करने लगे. 2019 में प्रवीण ने जूनियर पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था. जिसके बाद लोगों ने उन्हें सपोर्ट करना शुरू कर दिया था.
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