यौन उत्पीड़न के आरोपों पर सरकारी पैनल की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे ब्रजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) ने रविवार (16 अप्रैल) कहा कि वह 7 मई को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India) चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने संकेत दिए कि वह महासंघ में नई भूमिका तलाश सकते हैं. डब्ल्यूएफआई ने महासचिव वीएन प्रसाद की अध्यक्षता में अपनी आम परिषद और कार्यकारी समिति की आपात बैठक में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की. ब्रजभूषण डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में चार-चार साल के तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और खेल संहिता के अनुसार 12 साल तक अध्यक्ष रहने के बाद वह फिर से इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
ब्रजभूषण ने बैठक के बाद पीटीआई से कहा, ‘हमें पहले चुनाव कराने थे लेकिन हाल के विवाद के कारण हम चुनाव नहीं करा पाए लेकिन हम अब आगे बढ़ेंगे. मैं खेल संहिता का पालन करूंगा और अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ूंगा.’ तो क्या इसका मतलब है कि वह डब्ल्यूएफआई से नहीं जुड़े रहेंगे, उन्होंने कहा, ‘मैंने कहा है कि मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं करूंगा मैंने यह नहीं कहा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा.’
अब अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे ब्रजभूषण
यह देखना दिलचस्प होगा क्या उनके बेटे करण डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे. वह अभी उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. यह पूछे जाने पर कि देश के चोटी के पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और डराने धमकाने के आरोपों को देखते हुए क्या उन्हें एजीएम में भाग लेने की अनुमति मिल गई थी, ब्रजभूषण ने कहा कि उन्होंने नियमों के तहत ही काम किया है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लिखित रूप से तीन सप्ताह तक कामकाज से दूर रहने के लिए कहा गया था जिसे बाद में छह सप्ताह तक बढ़ा दिया गया था और मैंने ऐसा किया. मैं आईओए (भारतीय ओलिंपिक संघ) और निगरानी पैनल की सुनवाई में उपस्थित हुआ था. मैं अब डब्ल्यूएफआई पदाधिकारी के रूप में काम कर सकता हूं. किसी नियम को तोड़ने का कोई सवाल नहीं उठता है. समिति का निष्कर्ष सरकार के पास है और मैं रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूं.’
पहलवानों के आरोपों पर क्या ब्रजभूषण
विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और सरिता मोर सहित देश के कई शीर्ष पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने और खिलाड़ियों को धमकाने का आरोप लगाया था. ब्रजभूषण ने कहा कि सुनवाई के दौरान पहलवानों ने जो कहा वह हास्यास्पद है. उन्होंने कहा, ‘इन पहलवानों ने जो कुछ कहा उससे मेरी हंसी नहीं रुक रही थी. यदि मैंने साक्षी मलिक के साथ कुछ गलत किया होता तो फिर वह मुझे अपनी शादी में क्यों बुलाती. वे अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक मामलों को लेकर मेरे पास आते थे. वे मेरे बेटे बहू के साथ बैठते थे और साथ में भोजन करते थे. अब वे अचानक ही आरोप लगाने लगे कि मैंने उन्हें परेशान किया. यदि ऐसा था तो फिर वह मेरे घर क्यों आते थे.’
क्या बदले की भावना रहेगी?
डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने कहा कि जब यह मसला सुलझ जाएगा तो महासंघ के मन में बदले की भावना नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘विरोध करने वाले पहलवान ही नहीं कई ऐसे लोग हैं जो अब मेरा सामना नहीं कर सकते हैं. लेकिन यदि वे खेलना चाहते हैं तो सभी के लिए प्रक्रिया पहले की तरह एक जैसी होगी. सभी योग्य खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं लेकिन डब्ल्यूएफआई किसी पहलवान को ओलिंपिक ट्रायल से छूट नहीं देगा भले ही उस पहलवान ने उस वर्ग में कोटा हासिल किया हो.’
ब्रजभूषण ने कहा, ‘यदि बजरंग ओलिंपिक कोटा हासिल करता है तो उसे ओलिंपिक में खेलने के लिए राष्ट्रीय ट्रायल्स के विजेता से भिड़ना होगा. यदि वह हार जाता है तब भी उसे 15 दिन बाद फिर से मुकाबला करने और भारतीय टीम में जगह बनाने का मौका दिया जाएगा. किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. इन पहलवानों को मोहरा बनाया गया, विवाद के पीछे कोई और है. पहलवानों का इस्तेमाल किया गया. मैंने एक दिन भी अपराध बोध में नहीं बिताया. मैं अपना काम करता रहा और महासंघ आगे भी काम करता रहेगा भले ही मैं उसका हिस्सा रहूं या नहीं रहूं.’
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