अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच ग्रेटर नोएडा में इकलौते टेस्ट के लिए की गई व्यवस्थाओं की रोज पोल खुल रही है. पहले दिन मैदान को खेल के लिए तैयार नहीं किया जा सका जबकि बारिश बहुत कम हुई थी. दूसरे दिन तो हद ही हो गई. इंटरनेशनल क्रिकेट का दर्जा रखने वाले स्टेडियम में कैटरिंग के लिए अलग से पानी तक उपलब्ध नहीं था. ऐसे में कैटरिंग स्टाफ वॉशरूम के पानी से बर्तनों को धो रहा था. बाकी कामों के लिए भी उन्होंने इसी पानी का उपयोग किया. मैच की कवरेज के दौरान स्पोर्ट्स तक को यह नजारा दिखा.
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स्पोर्ट्स तक को मिली जानकारी के अनुसार, इस स्टेडियम में 20 से 25 ग्राउंड स्टाफ सदस्य हैं. इनमें से 15 बाहर से लाए गए हैं. पांच सुपर सॉपर्स को पानी निकालने के लिए लाया गया. इनमें से दो ऑटोमैटिक और तीन मेनुअल थे. इससे पहले ग्राउंड स्टाफ मैदान को सुखाने में नाकाम रहा तो उसने टेंट हाउस से पंखे मंगाए. इसके अलावा मैदान को कवर करने के लिए कवर्स भी टेंट हाउस से ही मंगाए गए. इसके अलावा जिन जगहों पर पानी ज्यादा भरा था वहां से मिट्टी को खोदकर निकाला गया. उसकी जगह सूखी मिट्टी भरी गई. लेकिन इससे भी कामयाबी नहीं मिली.
मैदान को नहीं सुखा सका ग्राउंड स्टाफ
इससे पहले 9 सितंबर को अंपायरों ने पूरे दिन में छह बार निरीक्षण किया. लेकिन आधुनिक सुविधाओं की कमी के कारण अनुभवहीन मैदानकर्मी मैदान तैयार नहीं कर सके. इसके बाद माना जा रहा था कि दूसरे दिन मैदान खेल के लिए तैयार हो जाएगा. लेकिन 9 सितंबर की शाम को आई बारिश के चलते मैदान फिर से गीला हो गया. ऐसे में दूसरे दिन भी मैच शुरू नहीं हो सका. ग्राउंड स्टाफ ने बाद में ज्यादा गीली जगहों को दो से तीन फीट तक खोदा. वहां पर सूखी मिट्टी भरकर घास को लगाने की कोशिश की गई. मिड ऑन और मिडविकेट के आसपास सबसे ज्यादा आउटफील्ड खराब रही.
अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड दोनों ही टीमें दूसरे दिन होटल से ही रवाना नहीं हुई. दोनों देशों के बीच पहले टेस्ट की तैयारी भी बारिश से प्रभावित हुई थी. न्यूजीलैंड के खिलाड़ी एक भी ट्रेनिंग सेशन पूरा नहीं कर पाए. अफगानिस्तान को इस मैच से पहले दो प्रैक्टिस मैच खेलने थे. लेकिन वे एक ही मैच खेल सके. अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की ओर से 9 सितंबर को कहा गया था कि यहां पर बहुत गड़बड़ी है. वे अब कभी यहां पर खेलने के लिए नहीं आएंगे. खिलाड़ी यहां की सुविधाओं से नाखुश हैं.
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