पाकिस्तान क्रिकेट टीम की हालत बेहद ज्यादा खराब हो चुकी है. नए बोर्ड, नए कप्तान के बाद भी खिलाड़ी मैदान पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. आईसीसी इवेंट में बुरी तरह फ्लॉप होने के बाद टीम अब घर पर भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पा रही है. हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ टीम को 2-0 से सीरीज गंवानी पड़ी. ऐसे में अब जाकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की नींद खुली है. ऐसे में पीसीबी अब खिलाड़ियों पर नकेल कसने की कोशिश में है.
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पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अगले 12 महीनों के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट देने से पहले सख्त फिटनेस टेस्ट आयोजित करेगा जिसमें वर्तमान में कॉन्ट्रैक्टेड खिलाड़ियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खिलाड़ियों को भी शामिल किया जाएगा. फिटनेस टेस्ट 6 से 8 सितंबर के बीच लाहौर में किया जाएगा और इस प्रोसेस की निगरानी व्हाइट बॉल के मुख्य कोच गैरी कर्स्टन और टीम के फिजियोथेरेपिस्ट और ट्रेनर करेंगे.
गैरी कर्स्टन की निगरानी में होगा सबकुछ
इसके बाद खिलाड़ी चैंपियंस कप के लिए फैसलाबाद के लिए रवाना होंगे. बोर्ड के एक सूत्र ने कहा, "फिटनेस टेस्ट से यह तय होगा कि इस साल किन खिलाड़ियों को कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा, जबकि प्रदर्शन को भी प्राथमिकता दी जाएगी." उन्होंने कहा, "दोनों विदेशी कोच (कर्स्टन और जेसन गिलेस्पी) ने चयनकर्ताओं और पीसीबी को यह स्पष्ट कर दिया है कि खिलाड़ियों के चयन के लिए उनका पहला मानदंड उनकी फिटनेस स्थिति होगी." सूत्र ने कहा, "गिलेस्पी बांग्लादेश के खिलाफ हाल ही में हुए टेस्ट मैचों में कुछ खिलाड़ियों की फिटनेस से खुश नहीं थे और उन्हें लगा कि वे टेस्ट के सभी सेशन के दौरान अपनी तेजी और सहनशक्ति को बनाए रखने में सक्षम नहीं थे."
उन्होंने आगे कहा कि कर्स्टन ने भी चयनकर्ताओं और बोर्ड अधिकारियों से मुलाकात के दौरान कुछ खिलाड़ियों के फिटनेस लेवल को लेकर अपनी बात कही है. उन्होंने कहा कि, "फिटनेस टेस्ट में यह निर्धारित किया जाएगा कि खिलाड़ी कितना फिट है, जिम ट्रेनिंग, सहनशक्ति और एंड्यूरेंस रन, यो यो और अन्य टेस्ट भी किए जाएंगे." वर्तमान में, पीसीबी ने लगभग 27 खिलाड़ियों को सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट दिए हैं, लेकिन संकेत हैं कि पिछले एक साल में सभी फॉर्मेट में राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन को देखते हुए इस बार संख्या कम हो जाएगी. हाल ही में बांग्लादेश ने पाकिस्तान को टेस्ट सीरीज में 2-0 से हराया था, जिसके बाद खिलाड़ियों और बोर्ड अधिकारियों की काफी आलोचना हुई थी.
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