केरल और विदर्भ की टीम रणजी ट्रॉफी के फाइनल में आमने सामने है. केरल 74 साल बाद रणजी ट्रॉफी का खिताबी मुकाबला खेलने मैदान पर उतरा और इस मैच के लिए उसने अपने एक दावं से हर किसी को हैरान कर दिया. फाइनल की प्लेइंग इलेवन में केरल ने 19 साल के उस खिलाड़ी मौका दिया, जो पिछले तीन साल से एक भी फर्स्ट क्लास मैच नहीं खेला. जिसके पास दो फर्स्ट क्लास और एक लिस्स्ट ए मैच का ही अनुभव है.
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केरल ने ऑलराउंडर इडेन एप्प्ल टॉम को तीन साल बाद मैदान पर उतारा और इस खिलाड़ी ने भी इस मौके को भुनाते हुए कमाल कर दिया. केरल ने फाइनल में टॉस जीतकर पहले फील्डिंग चुनी और प्लेइंग इलेवन में टॉम को शामिल करने बड़ा दांव खेला. इसके बाद निधेश ने अटैक की शुरुआत की. केरल ने विकेट मेडन ओवर के साथ शुरुआत की. निधेश ने पारी की दूसरी गेंद पर पर्थ रेखाड़े को एलबीडब्ल्यू कर दिया.अगले ओवर में टॉम अटैक पर आए और उन्होंने भी मेडन ओवर फेंका.पारी का तीसरा ओवर में मेडन रहा. लगातार तीन मेडन ओवर से केरल ने विदर्भ पर दबाव बना दिया.
टॉम का इंतजार खत्म
पारी के चौथे ओवर में टॉम अटैक पर आए और उनके ओवर की पहली गेंद पर ध्रुव शौरी ने चौका लगाकर विदर्भ का खाता खोला. उन्होंने अपने अगले ओवर में एक और चौका खाया, मगर अपने 5वें ओवर में टॉम ने वो कर दिखाया,जिसका वो बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. उन्होंने ध्रुव शौरी को विकेट के पीछे कैच आउट करा दिया. ध्रुव 16 रन बनाकर पवेलियन लौटे और इसी के साथ विदर्भ ने 24 रन पर अपना तीसरा विकेट भी गंवा दिया. केरल को टॉम ने बड़ी सफलता दिला दी.
केरल की टीम 74 साल में पहली बार फाइनल में पहुंची है. केरल ने 1951-52 में पहली बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था.
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