IND vs ENG, DRS Controversy : भारत और इंग्लैंड (India vs England) के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में टीम इंडिया जहां 2-1 से आगे चल रही है. वहीं तीसरे टेस्ट मैच में जैक क्रॉली को DRS के चलते आउट दिए जाने पर इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स व कोच ब्रैंडन मैक्कलम काफी नाराज नजर आए थे. इतना ही नहीं मैच के बाद क्रॉली के मामले में स्टोक्स और मैक्कलम ने मैच रेफरी से भी बातचीत की थी. इसके अलावा दूसरे विशाखापत्तनम टेस्ट मैच में भी कुलदीप यादव की गेंद पर जब जैक क्रॉली को आउट दिया गया था तो इस समय भी DRS चर्चा का विषय बना था. अब इन मामलों पर हॉक आई के संस्थापक पॉल हॉकिन्स ने DRS का पूरा खेल बताया है.
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जैक क्रॉली के आउट होने पर मचा बवाल
राजकोट टेस्ट मैच के दौरान जसप्रीत बुमराह की गेंद जैक क्रॉली के पैड पर लगी तो मैदानी अंपायर ने इसे आउट दे डाला था. इसके बाद इंग्लैंड ने रिव्यू लिया तो उसमें नजर आ रहा था कि गेंद स्टंप्स को मिस कर रही थी. इसके बावजूद अंपायर्स कॉल के चलते जैक क्रॉली को एलबीडबल्यू आउट दे दिया गया और इंग्लैंड को अंत तक 434 रनों से बुरी हार का सामना करना पड़ा. इस घटना से बेन स्टोक्स काफी नाराज दिखे और उन्होंने अंपायार्स कॉल के मसले को क्रिकेट से समाप्त करने तक की मांग रख डाली. स्टोक्स के अलावा इंग्लैंड के कोच ब्रैंडन मैक्कलम ने भी मैच रेफरी जेफ क्रो से बातचीत करके स्पष्टीकरण मांगा था.
DRS का पूरा खेल
आईन्यूज़डॉटकोडॉटयूके में छपी खबर के अनुसार राजकोट टेस्ट मैच के दौरान DRS तकनीक में काम करने वाले एक सूत्र ने बताया कि जैक क्रॉली के फैसले के दौरान टेलीविजन में जो इमेज दिखाई गई थी वह सही नहीं थी. DRS के सिस्टम में जो इमेज सबके सामने आती है और गेंद के जाने का जो ट्रैक होता है. उसमें हल्का सा बारीक अंतर होता है. DRS में खराबी के चलते जो इमेज दिखाई गई थी वह गलत थी. लेकिन असलियत में हल्का सा अंतर था.
सूत्र ने आगे कहा कि DRS को पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल द्वारा देखा जाता है, जबकि बेसिंगस्टॉक कपनी द्वारा हॉकआई के ओपरेटर नियुक्त किए जाते हैं. बहुत अधिक हद तक टेक्नोलॉजी ऑटोमेटेड है लेकिन कभी-कभी ह्युमन एरर भी हो जाती है. इसलिए क्रॉली पर लिया गया फैसला सही था लेकिन इमेज गलत दिखाई गई थी.
DRS कैसे काम करता है ?
DRS के जरिए एलबीडबल्यू को चेक करने के लिए तीन पॉइंट देखे जाते हैं. जिसमें पहला ये कि गेंद की पिचिंग यानि तीन स्टंप्स की लाइन के अंदर या फिर उससे ऑफ साइड बाहर पिच हुई है तो आगे चेक किया जाता है. लेकिन पिचिंग जोन के अगर लेग साइड गेंद पिच हुई है तो फिर उसे वहीं नकार दिया जाता है.
दूसरा पॉइंट है कि गेंद का इम्पैक्ट स्टंप्स के सामने वाले जोन में हुआ है कि नहीं. ऑफ स्टंप्स से लेकर लेग स्टंप्स तक के जोन को इम्पैक्ट जोन कहा जाता है. इसमें गेंद पैड पर अगर स्टंप्स के सामने लगी है तो फिर आगे गेंद को ट्रेकिंग डिवाइस के जरिए चेक किया जाता है. फिर गेंद को देखा जाता है कि वह स्टंप्स पर हिट कर रही है या नहीं. अगर गेंद का 50 प्रतिशत हिस्सा भी स्टंप्स में लग रहा है तो बल्लेबाज को आउट दे दिया जाता है.
विशाखापत्तनम टेस्ट में क्या हुआ था ?
वहीं दूसरे मामले की बात करें तो विशाखापत्तनम टेस्ट मैच में भी जैक क्रॉली के पैड पर गेंद लगी थी. जिसमें सामने से लग रहा था कि गेंद लेग स्टंप्स के बाहर जा रही है. लेकिन DRS से देखने में पता चला कि गेंद लेग स्टंप्स को हिट कर रही थी. जिससे जैक क्रॉली को आउट होकर बाहर जाना पड़ा तो इस फैसले पर भी कई सवाल खड़े हुए. इस मसले पर हॉक आई के संस्थापक पॉल हॉकिन्स ने संडे टाइम्स में बताया कि कुलदीप जब गेंदबाजी कर रहे थे तो टेलीविजन कैमरा गेंदबाज के स्टंप्स के बायें साइड में लगा हुआ था. जबकि हॉक-आई कैमरा स्टंप्स के ठीक पीछे लगा होता है. यहीं से बारीक अंतर नजर आ जाता है. हर एक DRS के फैसले पर हम स्क्रीनग्रैब का इस्तेमाल करते हैं. हॉक-आई भी पूरी तरह से ऑटोमेटिक होता है और इससे कोई भी छेड़खानी नहीं कर सकता है. ये सीधे आईसीसी के पास जाता है और पूरा क्वालिटी कंट्रोल उनके पास होता है. मैं ये भी मानता हूं कि सब कुछ पूरी तरह से ऑटोमेटिक नहीं है और कभी-कभी ह्युमन एरर हो जाती है और उन्हें कम किया जा रहा है. लेकिन ये ऐसे ही काम करता है.
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