भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा अपने करियर के ढलान की तरफ है. 2007 में टी20 वर्ल्ड कप के जरिए उन्होंने टीम इंडिया में कदम रखा था. करियर के शुरुआती सालों में संघर्ष किया लेकिन 2013 में ओपनर की भूमिका मिली और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद से रोहित भारतीय टीम के कप्तान भी बन गए और इस भूमिका में भी काफी कामयाबी हासिल की. क्रिकेट में सफलता के साथ-साथ रोहित शर्मा का योगदान जरूरतमंदों की मदद में भी बढ़ता गया. कोविड-19 में डोनेशन हो या फिर आवारा जानवरों की देखभाल या फिर समुद्री जीवों का संरक्षण, हिटमैन के नाम से मशहूर यह खिलाड़ी हरसंभव तरीके से कल्याणकारी और परोपकारी कामों से जुड़ा रहा है.
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रोहित ने कोविड-19 के मुश्किल समय में दिल खोलकर मदद की थी. उन्होंने साल 2020 में कुल 80 लाख रुपये अलग-अलग कामों के लिए डोनेट किए थे. इसके तहत रोहित ने सबसे ज्यादा 40 लाख रुपये पीएम केयर्स फंड में दिए. 25 लाख रुपये उन्होंने महाराष्ट्र सीएम रिलीफ फंड दिए. इसके अलावा पांच लाख रुपये महाराष्ट्र पुलिस तो इतनी ही रकम एक एनजीओ को भी दिए. रोहित ने इंसानों के साथ ही जानवरों की भी परवाह की और पांच लाख रुपये आवारा कुत्तों के शेल्टर के लिए दिए थे.
रोहित 2015 से जीवों के कल्याण से जुड़े
रोहित लंबे समय से जानवरों के संरक्षण के कामों में लगे हुए हैं. फरवरी 2015 में उन्होंने पेटा (People for the Ethical Treatment of Animals) के साथ हाथ मिलाए थे और आवारा कुत्तों व बिल्लियों की नसबंदी का समर्थन किया था. सितंबर 2015 में वे अफ्रीका में वन्य जीवों के शिकार के खिलाफ छेड़े गए अभियान में शामिल हुए थे. उनके साथ हॉलीवुड एक्टर मैट लेब्लांक और सलमा हायक भी शामिल हुए थे. तब से वह गैंडों के बचाव से जुड़े हुए हैं. नवंबर 2017 में रोहित ने एक ऑनलाइन स्टोर से हाथ मिलाया था और बताया कि उनका नाम और जर्सी नंबर लिखा सामान बिकेगा तो उसकी सारी कमाई जानवरों के कल्याण के लिए जाएगी.
रोहित लंबे समय से समुद्री जीवों के लिए उठा रहे कदम
साल 2018 में रोहित को वर्ल्ड राइनो डे के दिन पर वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने ब्रेंड एम्बेसेडर नियुक्त किया. इसके बाद से वे लगातार गैंडों को बचाने के अभियान का प्रमुख चेहरा रहा है. इसी तरह से समुद्र से प्लास्टिक हटाने और समुद्री जीवों का जीवन आसान बनाने के लिए भी कई सालों से काम कर रहे हैं. इस कड़ी में उन्होंने एडिडास के साथ मिलकर जागरुकता फैलाने के लिए मर्चेंडाइज लॉन्च किए थे.
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