बड़ी खबर: ICC ने बदला नियम, भारत- ऑस्ट्रेलिया के बीच WTC फाइनल में अंपायर नहीं कर सकेंगे ऐसा, दिन में भी जलानी पड़ सकती है फ्लड लाइट्स

भारत और ऑस्ट्रेलिया (Ind vs AUS) के बीच 7 जून से द ओवल में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाना है. सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली आईसीसी की क्रिकेट कमेटी ने इसपर मुहर लगा दी है. वहीं भारत और ऑस्ट्रेलिया से भी इस मामले पर राय ली गई.

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भारत और ऑस्ट्रेलिया (Ind vs AUS) के बीच 7 जून से द ओवल में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाना है. लेकिन इस फाइनल से ठीक पहले आईसीसी ने क्रिकेट के नियमों में दो अहम बदलाव कर दिए हैं. अब मैदान पर मौजूद अंपायर सॉफ्ट सिग्नल नहीं दे पाएंगे. इंटरनेशनल प्लेइंग कंडीशन को देखते हुए आईसीसी ने ये फैसला लिया है. अगले महीने से इस नियम का इस्तेमाल होगा यानी की WTC फाइनल में क्रिकेट फैंस को ये नियम देखने को मिल जाएगा.

 

सौरव गांगुली की कमेटी ने लगाई मुहर


क्रिकबज के अनुसार सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली आईसीसी की क्रिकेट कमेटी ने इसपर मुहर लगा दी है. वहीं भारत और ऑस्ट्रेलिया से भी इस मामले पर राय ली गई. इसके अलावा आईसीसी ने एक और बदलाव किया है. कई बार दिन के मैच में रोशनी कम दिखती है. ऐसे में अब अगर किसी भी मैच में रोशनी कम होगी तो ग्राउंड स्टाफ को फ्लड लाइट्स ऑन करने पड़ेंगे.

 

बता दें कि सॉफ्ट सिग्नल को लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है. इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान और ऑस्ट्रेलिया के बैटर मार्नस लाबुशेन भी इसपर अपना बयान दे चुके हैं. सभी ने कहा था कि आईसीसी को सॉफ्ट सिग्नल खत्म कर देना चाहिए और थर्ड अंपायर को इसका फैसला लेना चाहिए क्योंकि उनके पास काफी ज्यादा एक्विपमेंट हैं.

 

बता दें कि स्टोक्स की इंग्लैंड की टीम को इससे फायदा भी मिल चुका है. पिछले साल पाकिस्तान के खिलाड़ी सऊद शकील टेस्ट मैच में आउट हो गए थे. इसके बाद पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम ने कहा था कि, उनकी टीम थर्ड अंपायर के चलते मैच हारी है.

 

क्या होता है सॉफ्ट सिग्नल?


सॉफ्ट सिग्नल वो नियम होता है जब ऑन फील्ड अंपायर को फैसला सुनाना पड़ता है. यानी की अगर कोई कैच क्लीन नहीं हुआ तो भी अंपायर को आउट या नॉटआउट का सॉफ्ट सिग्नल देना होगा. इसके बाद थर्ड अंपायर कैमरा फुटेज से इस कैच को देखता है. लेकिन अगर थर्ड अंपायर भी इसपर फैसला नहीं ले पाता है तो अंत में उसे मैदानी अंपायर के फैसले पर ही जाना होता है. यानी की अगर मैदानी अंपायर ने आउट दिया है तो बैटर आउट होगा और नॉटआउट दिया है तो नॉटआउट होगा. ऐसे में इसपर विवाद ये था कि, इतनी सारी टेक्नोलॉजी के बाद भी क्यों थर्ड अंपायर फैसला नहीं ले पा रहा था. इसलिए अब मैदान पर खड़ा अंपायर सॉफ्ट सिग्नल नहीं देगा और फाइनल फैसला थर्ड अंपायर का ही होगा.

 

बता दें कि स्टोक्स के बयान के बाद बीसीसीआई के सचिन जय शाह ने इस मुद्दे को साल 2021 के आईसीसी फॉरम में उठाया था. शाह भी आईसीसी क्रिकेट कमेटी का हिस्सा हैं.

 

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