रवींद्र जडेजा सिर्फ बल्ले या फिर गेंद से अपने कमाल के लिए नहीं जाने जाते, बल्कि उनका जश्न मनाने का अलक अंदाज भी काफी मशहूर है. बल्ले को तलवार की तरह चलाकर जश्न मनाने का उनका जाना-पहचाना अंदाज बिल्कुल अलग है, लेकिन मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ एक मुश्किल टेस्ट मैच के आखिरी दिन जडेजा ने कुछ ऐसा किया,जिसकी उम्मीद कम ही थी. शतक के बाद हर कोई उनसे तलवार चलाने की उम्मीद कर रहा था, मगर इस बार उन्होंने बल्ले को तलवार की तरह नहीं चलाया.
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उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ जैसे ही अपना शतक पूरा किया, दुनिया भर के फैंस उनके इस जाने-पहचाने अंदाज की उम्मीद कर रहे थे. ख़ासकर बेन स्टोक्स के साथ मैदान पर हुई बहस के बाद तो ऐसा लग रहा था कि जडेजा अपनी तलवार से जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
जडेजा ने टीम को भी किया हैरान
यह सिर्फ फैंस के लिए, बल्कि उनके अपने साथियों के लिए भी हैरान करने वाला था. ओल्ड ट्रैफर्ड के ड्रेसिंग रूम में भारतीय टीम ने उनके शतक के लिए तालियां बजाई. कप्तान शुभमन गिल मुस्कुराते हुए जडेजा के तलवारबाजी वाले जश्न की नकल भी कर रहे थे, लेकिन पिच पर जडेजा शांत थे और उन्होंने बस बल्ले को माथे पर चलाया, जो जश्न की बजाय एक बयान था.
उनकी पत्नी रीवाबा जडेजा ने इसके बाद एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया और इसी भावना को दोहराया. उन्होंने लिखा-
तलवार नहीं, बल्कि शुद्ध योद्धा की भावना. मेरे पति रवींद्र यह जडेजा का यह शतक, टीम को जब इसकी सबसे ज्याद ज़रूरत थी, उस समय उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रतीक था. एक यादगार पारी, एक यादगार पल. टीम इंडिया के सामूहिक जज्बे ने इसे और भी ख़ास बना दिया.
जडेजा और वाशिंगटन सुंदर के बीच 204 रनों की साझेदारी ने मैच का रुख पलट दिया. भारत मुश्किल में था, इंग्लैंड की नजरें जीत पर टिकी थीं, लेकिन दोनों ऑलराउंडरों ने 300 से ज़्यादा गेंदों तक बल्लेबाजी करते हुए भारत को हार से बचा लिया.
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