इंग्लैंड में भारतीय क्रिकेट टीम 1932 से टेस्ट खेल रही है लेकिन अभी तक तीन ही ऐसे मौके आए हैं जब उसे सीरीज जीतने में सफलता मिली है. 1971 वह पहला मौका था जब भारत ने इंग्लिश टीम को उसी की धरती पर हराकर टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाबी हासिल की थी. अजीत वाडेकर की कप्तानी में यह सफलता मिली थी. दोनों टीमों के बीच तीन मैच की सीरीज थी और भारत 1-0 से विजेता बना था. तब लॉर्ड्स, मैनचेस्टर और दी ओवल में टेस्ट खेले गए थे. भारतीय गेंदबाजों ने इस सीरीज में कमाल किया था और सबसे ज्यादा विकेट लेने की लिस्ट में टॉप-तीन में भारत के खिलाड़ियों के ही नाम थे. बैटिंग में कप्तान वाडेकर भारत की तरफ से छाए रहे.
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भारत के 1971 के इंग्लैंड दौरे पर पहला टेस्ट लॉर्ड्स में खेला गया. इंग्लिश टीम ने पहले बैटिंग करते हुए 304 का स्कोर बनाया. उसकी तरफ से जॉन स्नो ने 73 और एलन नॉट ने 67 रन की पारी खेली. भारत ने भी अच्छा जवाब दिया और 313 रन बनाकर बढ़त ले ली. उसकी तरफ से वाडेकर ने 85, गुंडप्पा विश्वनाथ ने 68 और एकनाथ सोलकर ने 67 रन बनाए. दूसरी पारी में इंग्लिश टीम 191 रन पर ढेर हो गई. भारत के सामने जीत के लिए 183 रन का लक्ष्य था. उसने जीत की तरफ जाने की कोशिश की लेकिन आखिरी दिन की पिच पर यह कर पाना सान नहीं था. सुनील गावस्कर के अर्धशतक के बाद भी टीम आठ विकेट पर 145 रन बना सकी और मैच ड्रॉ हो गया.
मैनचेस्टर टेस्ट में भारत-इंग्लैंड के बीच क्या हुआ
दूसरे टेस्ट के लिए दोनों टीमें मैनचेस्टर पहुंची और इंग्लैंड ने फिर से पहले बैटिंग की. इस बार कप्तान रे इलिंगवर्थ (107) के शतक से 386 का स्कोर बनाया. भारत गावस्कर और सोलकर के अर्धशतकों के बावजूद 212 रन बना सका. दूसरी पारी में इंग्लैंड के बल्लेबाज चढ़कर खेले और उन्होंने तीन विकेट पर 245 रन बनाकर पारी घोषित कर दी. ओपनर ब्रायन लकहर्स्ट ने 101 रन की शतकीय पारी खेली. भारत ने 65 पर तीन विकेट गंवा दिए थे और तब ही मैच खत्म हो गया. इस तरह दो टेस्ट के बाद सीरीज बराबरी पर थी.
दी ओवल में भारत ने रचा इतिहास
तीसरे टेस्ट के लिए सीरीज का कारवां दी ओवल पहुंचा. यहां भी इंग्लैंड ने पहले बैटिंग की और 355 का स्कोर बनाया. भारतीय बॉलर्स का मिलाजुला प्रदर्शन रहा. जवाब में भारत के बल्लेबाज 284 पर ढेर हो गए. दिलीप सरदेसाई ने 54 और फारूख इंजीनियर ने 59 रन बनाए. लेकिन भागवत चंद्रशेखर ने छह विकेट लेकर इंग्लैंड को 101 रन पर समेट दिया. इससे भारत को जीत के लिए 173 रन का लक्ष्य मिला. वाडेकर (45), सरदेसाई (40), गुंडप्पा विश्वनाथ (33) और इंजीनियर (28) की पारियों के दम पर भारत ने छह विकेट खोकर तीसरा टेस्ट जीत लिया. यह टीम इंडिया की इंग्लैंड में टेस्ट में पहली जीत रही. इससे पहले उसने यहां पर 21 टेस्ट खेले थे और 14 गंवाए थे.
भारत के स्पिनर्स का कमाल
भारत की जीत के हीरो एस वेंकटराघवन (13), भागवत चंद्रशेखर (13) और बिशन सिंह बेदी (11) रहे जिन्होंने मिलकर कुल 37 विकेट चटकाए. ये तीनों सीरीज में सर्वाधिक विकेट के मामले में टॉप-3 में थे. बल्लेबाजी में वाडेकर ने कमाल किया जिन्होंने छह पारियों में 34 की औसत से 204 रन बनाए. वे सर्वाधिक रन के मामले में तीसरे नंबर पर रहे.
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