भारत ने लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट के पांचवें दिन इंग्लैंड के खिलाफ जीत के करीब पहुंचकर भी 22 रनों से हार का सामना किया. 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को 135 रन चाहिए थे और छह विकेट बाकी थे, लेकिन टीम 170 रनों पर ढह गई. रवींद्र जडेजा ने शानदार बल्लेबाजी की, लेकिन पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का मानना है कि थोड़ी आक्रामकता से जीत संभव थी.
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दिन की शुरुआत में इंग्लैंड के बेन स्टोक्स और जोफ्रा आर्चर ने भारत को बड़े झटके दिए. आर्चर ने ऋषभ पंत को शानदार गेंद पर आउट किया, जिसने उनके ऑफ स्टंप को उखाड़ दिया. इसके बाद स्टोक्स ने केएल राहुल को एलबीडब्ल्यू आउट करवाया, जिसे डीआरएस के जरिए पलटा गया.
जडेजा ने दिखाया दम, लेकिन सहारा नहीं मिला
रवींद्र जडेजा ने मुश्किल हालात में शानदार बल्लेबाजी की और नाबाद 61 रन बनाए. नीतीश रेड्डी और जसप्रीत बुमराह ने उनका थोड़ा साथ दिया, जिससे भारत 100 रन के पार पहुंचा. लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाजों के जल्दी आउट होने से भारत लक्ष्य से 22 रन पीछे रह गया.
गावस्कर ने जताई निराशा
सुनील गावस्कर ने भारतीय बल्लेबाजी की नाकामी पर निराशा जताई. सोनी स्पोर्ट्स पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "60-70 रनों की साझेदारी से फर्क पड़ सकता था. जडेजा जो रूट और शोएब बशीर के खिलाफ थोड़ा जोखिम ले सकते थे."
बता दें कि, रवींद्र जडेजा ने लॉर्ड्स में इतिहास रच दिया. वह वीनू मांकड (1952) के बाद दूसरे भारतीय बने, जिन्होंने इस मैदान पर टेस्ट की दोनों पारियों में 50 से ज्यादा रन बनाए. जडेजा ने पहली पारी में 72 और दूसरी में नाबाद 61 रन बनाए. जडेजा ने इस सीरीज में लगातार चौथी बार 50 से ज्यादा रन बनाए, जो केवल ऋषभ पंत और सौरव गांगुली ने पहले किया था. इसके अलावा, उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 7000 रन भी पूरे किए. यह उनके शानदार ऑलराउंडर करियर का एक और मील का पत्थर है.
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