झूलन गोस्वामी की क्रिकेट के प्रति प्रतिबद्धता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह नेट में भी आक्रामक गेंदबाजी करती थी. उनके सामने अक्सर बल्लेबाजी करते हुए उनकी लंबे समय की साथी और कप्तान मिताली राज हुआ करती थीं. जुलाई में अपने करिश्माई करियर को अलविदा कहने वाली भारत की शानदार महिला बल्लेबाज मिताली ने महान तेज गेंदबाज झूलन का ‘पूर्व क्रिकेटरों के क्लब’ में स्वागत किया. झूलन का विदाई मैच इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स पर शनिवार ) को खेला जा रहा भारत का तीसरा और अंतिम वनडे होगा.
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दो दशक तक साथ में ‘ड्रेसिंग रूम’ साझा करने वाली मिताली और झूलन ने भारत में महिला क्रिकेट के विकास को देखा है, दोनों यादगार जीत में साथी रही हैं और दोनों ने कुछ बुरी हार भी देखी हैं. झूलन के अनंत प्रभाव, लंबे समय तक खेलने और इतने सालों के अथक परिश्रम पर पीटीआई से बात करते हुए मिताली ने ‘चकदा एक्सप्रेस’ के शुरुआती दिनों से बातचीत शुरू की जब वह 19 साल थी और भारतीय टीम में शामिल हुई थीं.
मिताली ने कहा, ‘हम हमउम्र हैं, इसलिए हम दोनों काफी सहज रहती और हमारी बातचीत भी ऐसी ही होती. उनसे बात करना बहुत आसान रहता. वह हमेशा मैदान पर ऊर्जा से भरी रहती थीं, शायद इसलिये कि वह तेज गेंदबाज हैं.’ झूलन (39 वर्ष) अपने अथक समर्पण की बदौलत ही वनडे में सर्वाधिक विकेट चटकाने वाली गेंदबाज बनीं. हालांकि ‘स्विंग’ उनका सबसे बड़ा हथियार नहीं था लेकिन अपनी सटीक गेंदबाजी और सीम के बखूबी इस्तेमाल से वह इतने सारे विकेट अपनी झोली में डालने में सफल रहीं.
नेट्स में भी आग उगलती थीं झूलन
मिताली ने याद करते हुए कहा कि नेट में भी उनका प्रतिस्पर्धी भाव दिखायी देता था.उन्होंने कहा, ‘नेट पर मैं अक्सर उनसे कहती, ‘तुम गेंदबाजी में इतनी आग क्यों उगलती हो (आक्रामक गेंदबाजी करती हो), आखिर मैं तुम्हारी साथी ही हूं ना.’ फिर वह कहतीं, ‘तुम्हें आउट करना सबसे मुश्किल है’. वह हमेशा प्रतिस्पर्धी रहतीं, घरेलू क्रिकेट में भी, जिसमें भी हम अक्सर एक दूसरे के खिलाफ खेलते थे. मुझे इस प्रतिद्वंद्विता में भी मजा आता था.’
जब मिताली पर बरसाईं बाउंसर्स
एक तेज गेंदबाज से उम्मीद होती है कि वह बाहर से दिखने में सख्त हो लेकिन झूलन अंदर से बहुत नरम दिल की हैं. मिताली ने घरेलू क्रिकेट में एक मैच का वाकया बताया जिसमें झूलन का यह पक्ष दिखता है. मिताली ने कहा, ‘हम सेमीफाइनल (रेलवे बनाम बंगाल) में खेल रहे थे. घरेलू सत्र में मैं हेलमेट नहीं ले जाती. झूलन मेरे सिर पर ही निशाना बनाए थी और मैंने उनके कई बाउंसर छोड़ दिए थे. थोड़ी देर बाद वह मेरे पास आयीं और बोलीं, ‘तुम हेलमेट क्यो नहीं पहन रहीं?’ मैंने कहा, ‘मैं हेलमेट नहीं लायी’, तो कैसे पहनूंगी?’ वो भी मजेदार दिन थे.’
विरोधी भी करते थे सम्मान
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि प्रतिद्वंद्वी भी उनका पूरा सम्मान करते थे, विशेषकर जब वह अपने शिखर पर थीं. उन्होंने कहा, ‘उनकी सटीक गेंदबाजी उन्हें सबसे अलग करती थी. वह स्विंग में इतनी अच्छी गेंदबाज नहीं थी, वह गेंद को अंदर बाहर कर सकती थीं. कटर गेंद उनकी ताकत थी. जब वह अपने शिखर पर थीं तो वह कभी भी ढीली गेंद नहीं फेंकती थीं.’ तेज गेंदबाज रुमेली धर और अमिता शर्मा के संन्यास के बाद झूलन भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण में अहम बन गयीं, भले ही टीम स्पिन पर निर्भर रहती.
मिताली और झूलन ने ऐसे समय में एक साथ खेलना शुरू किया था जब महिला क्रिकेट की काफी अनदेखी की जाती थी. लेकिन 2006 में बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के अंतर्गत आने के बाद इसमें बदलाव शुरू हुआ.
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