इंडियन प्रीमियर लीग 2025 सीजन की शुरुआत 22 मार्च से होने जा रही है. ऐसे में खिलाड़ियों के साथ फैंस में भी काफी ज्यादा जोश है. चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के बाद अब हर कोई फ्रेंचाइजियों के बीच जंग देखने के लिए तैयार है. इस दौरान अगर किसी पर सबसे ज्यादा नजर होगी तो टीमों के मालिक होंगे. हर सीजन के साथ टीम का कद बढ़ता जाता है और वो और बड़ी होती जाती है. ऐसे में इसके पीछे फ्रेंचाइज के मालिकों का सबसे अहम रोल होता है. आईपीएल का बिजनेस प्लान इस तरह काम है जिसमें प्राइवेट कंपनियों को टीमों को खरीदने के लिए लुभाया जाता है.
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फ्रेंचाइज को भारी कीमत पर खरीदा और बेचा जाता है. इसमें कई बड़े बिजनेसमैन और कंपनियां शामिल होती हैं. ये सभी नीलामी में खिलाड़ियों को खरीदने के लिए पैसे लगाते हैं. लेकिन सवाल यही है कि आखिर टीमों के पास इतना पैसा कहां से आता है. 2024 तक आईपीएल ब्रैंड वैल्यू 3.4 बिलियन डॉलर थी. बीसीसीआई के अनुसार, 2023 आईपीएल सीजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के जीडीपी में 11.2 बिलियन डॉलर का योगदान दिया था. आईपीएल 2024 की दर्शकों की संख्या 620 मिलियन दर्शकों के आंकड़े तक पहुंच गई और इसे 350 बिलियन मिनट से अधिक समय तक देखा गया, जो आईपीएल 2020 के कुल देखने के समय से बहुत अधिक है.
आईपीएल टीमें कहां से करती है कमाई?
मीडिया राइट्स
पिछले एक दशक से आईपीएल का ऑफिशियल मीडिया स्पॉन्सर सोनी इंडिया और फिर ड्रीम 11 था. आईपीएल का वर्तमान टाइटल स्पॉन्सर टाटा ग्रुप है. जियो+हॉटस्टार को आईपीएल 2025 का ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर घोषित किया गया है. आईपीएल अपने रेवेन्यू डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल के लिए जाना जाता है. बीसीसीआई को ब्रॉडकास्टर्स और ऑनलाइन स्ट्रीमर्स से अच्छी खासी रकम मिलती है. आईपीएल की फ्रेंचाइजी से मिलने वाले पैसे और आईपीएल टीम की रैंकिंग के आधार पर यह रकम सभी आईपीएल टीमों के बीच उनकी फीस काटकर बांटी जाती है.
आईपीएल टीमों के लिए रेवेन्यू का सबसे बड़ा स्रोत सेंट्रल रेवेन्यू पूल से आता है, जिसमें मुख्य रूप से ब्रॉडकास्टिंग राइट्स के पैसे शामिल हैं. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आईपीएल के प्रसारण अधिकारों को अलग अलग ब्रॉडकास्टर्स को बेचता है. यह रेवेन्यू फिर सभी टीमों के बीच साझा किया जाता है. हालिया साइकिल में स्टार इंडिया ने पांच साल (2018-2022) के प्रसारण अधिकारों के लिए लगभग 2.55 बिलियन अमरीकी डालर का भुगतान किया. 2023 में, अगले चार सीज़न के मीडिया अधिकार वायाकॉम 18 और स्टार स्पोर्ट्स को 6.4 बिलियन अमरीकी डालर में बेचे गए, हर मैच का मूल्य 13.4 मिलियन अमरीकी डालर था.
स्पॉन्सरशिप
हर आईपीएल टीम के पास कई स्पॉन्सर होते हैं, जिसमें एक टाइटल स्पॉन्सर भी शामिल होता है, जो टीम की जर्सी और अन्य मर्चेंडाइज पर दिखाई देता है. ये डील काफ आकर्षक हो सकते हैं और कमाई का अहम जरिया होते हैं. कुल मिलाकर, आईपीएल टीमों ने वित्तीय वर्ष 2023 में 307 करोड़ रुपये (औसतन) कमाए.
टिकट ब्रिक्री
टिकट बिक्री से होने वाली आय (जिसे गेट रेवेन्यू भी कहा जाता है) आईपीएल टीमों के लिए आय का एक और महत्वपूर्ण स्रोत है. टीमें अपने घरेलू मैचों के लिए टिकट बिक्री से कमाया धन रखती हैं. टिकटों के लिए इस कीमत रेवेन्यू में योगदान देती है.
मर्चेंडाइज बिक्री
टीमें ऑनलाइन और स्टेडियम दोनों जगह जर्सी, कैप और अन्य ब्रांडेड आइटम सहित विभिन्न मर्चेंडाइज बेचती हैं. इन बिक्री से होने वाली आय टीमों की कुल आय में जुड़ती है.
प्राइज मनी
बीसीसीआई टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन के आधार पर टीमों को बड़ी पुरस्कार राशि प्रदान करता है. विजेता टीम, उपविजेता और अन्य टॉप प्रदर्शन करने वाली टीमों को नकद पुरस्कार मिलते हैं, जो उनके रेवेन्यू में फायदा पहुंचाते हैं.
वीआईपी पैकेज
मैच के दिनों में, टीमें प्रीमियम पैकेज पेश करती हैं जिसमें वीआईपी सीटिंग, खानपान और विशेष मर्चेंडाइज शामिल हैं. इन पैकेजों की कीमत नियमित टिकटों से अधिक होती है और ये कॉर्पोरेट ग्राहकों को ध्यान में रखकर इन पैकेज की ब्रिकी होती है. ऐसे में इससे भी टीमों के रेवेन्यू में फायदा मिलता है.
सोशल मीडिया से कमाई
डिजिटल प्लेटफॉर्म के बढ़ते प्रभाव के साथ, आईपीएल टीमों ने रेवेन्यू बड़ा करने के लिए अपनी सोशल मीडिया का लाभ उठाना शुरू कर दिया है. टीमों के फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर लाखों फॉलोअर्स हैं. वे इस पहुंच से पैसे कमाते हैं.
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