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भारतीय बल्लेबाज सरफराज खान ने टीम इंडिया से नजरअंदाज किए जाने के बाद कहा कि उन्हें खुद की बल्लेबाजी में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने पिछले कुछ साल में दबा के रन बनाए हैं. वह मौजूदा घरेलू सत्र में ज्यादा रन नहीं बना पाने से ‘बिल्कुल निराश’ नहीं हैं और उन्हें अपनी बल्लेबाजी में कोई बदलाव करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है.
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भारतीय टेस्ट टीम से बाहर होने के बाद से सरफराज के लिए रणजी ट्रॉफी का अब तक का सीजन निराशजनक रहा है. उन्होंने चार मैचों में 22.20 की औसत से सिर्फ 111 रन बनाए हैं और इस दौरान उन्होंने एक भी अर्धशतक नहीं लगाया है. रतीय टेस्ट टीम में शामिल होने से पहले उन्होंने रणजी सत्र में कई बड़ी पारियां खेली थी.उन्होंने 2022-23 सीजन में छह मैचों में 92.66 की औसत से 556 रन बनाए, 2021-22 में छह मैचों में 122.75 की औसत से 982 रन बनाए और इससे पहले सरफराज ने 2019-20 सीजन में छह मैचों में 154.66 की औसत से 928 रन बनाए.
कुछ बदलने की जरूरत नहीं
सरफराज ने शनिवार को वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई के अभ्यास सत्र के दौरान मीडिया से कहा कि मुझे नहीं लगता कि मुझे कुछ बदलने की जरूरत है क्योंकि मैं अच्छा कर रहा हूं. मैंने हमेशा (अभ्यास में) बहुत सारी गेंदें खेली हैं और अब भी मैं जितना हो सके अभ्यास करने की कोशिश करता हूं.
बल्लेबाज अच्छा खेलने के बावजूद गंवा देता है अपना विकेट
दाएं हाथ के बल्लेबाज ने पुडुचेरी के खिलाफ मुकाबले से पहले कहा कि मुझे नहीं लगता कि मुझे कुछ बदलने की जरूरत है,क्योंकि मैं अच्छा कर रहा हूं. मैंने हमेशा बहुत सारी गेंदें खेली हैं और अब भी मैं जितना हो सके अभ्यास करने की कोशिश करता हूं. उन्होंने कहा कि हर मैच में रन नहीं बनाए जा सकते.पिछले चार सत्र में हमने अच्छा प्रदर्शन किया है और कभी-कभी बल्लेबाज अच्छा खेलने के बावजूद अपना विकेट गंवा देता है, लेकिन हम हमेशा रन बनाने की राह पर वापस आ सकते हैं.
दबा के बनाए रन
भारतीय टेस्ट टीम से बाहर होना भी एक कारण हो सकता है लेकिन सरफराज ने कहा कि वह बल्ले से अपनी वापसी से बिल्कुल भी निराश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि बिल्कुल भी निराशा नहीं है. अगर आप मेरा रिकॉर्ड देखें तो मैंने खूब रन बनाए हैं. लोग चार साल में एक सत्र में हजार रन बनाते हैं लेकिन मैंने चार-पांच साल दबा के रन बनाए हैं.
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