बीसीसीआई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि, सौरव गांगुली और जय शाह अपने पद पर बने रहेंगे. इस फैसले के बाद बीसीसीआई के संविधान में बदलाव तय है. यानी की अब सौरव गांगुली और बीसीसीआई सचिव जय शाह अगले 6 साल तक अपने पद पर बने रहेंगे.
ADVERTISEMENT
बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में अपने पदाधिकारियों के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड को समाप्त करने की मांग की थी, जिससे सौरव गांगुली और जय शाह संबंधित राज्य क्रिकेट संघों में छह साल पूरे करने के बावजूद अध्यक्ष और सचिव के रूप में पद पर बने रहेंगे. इससे पहले, न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अगुवाई वाली समिति ने बीसीसीआई में सुधारों की सिफारिश की थी जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया है.
बता दें कि सौरव गांगुली सहित पांच पदाधिकारी पहले ही 6 साल पूरे कर चुके हैं. गांगुली का कूलिंग ऑफ पीरियड जुलाई 2020 के बाद शुरू हुआ था. वहीं वो साल 2014 में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव बने थे और 2015 में उन्हें अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद 2019 में वो फिर अध्यक्ष बने.
क्या है फैसला
बीसीसीआई के संविधान के अनुसार पहले एक पदाधिकारी को राज्य संघ या बीसीसीआई या दोनों संयुक्त रूप से लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना पड़ता है. लेकिन अब बीसीसीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अपील पर न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने संविधान में बदलाव करते हुए कहा है कि अब कोई भी एक सदस्य राज्य संघ में दो बार लगातार कार्यकाल पर रह सकता है. जबकि राज्य संघ से बाद अगर वह अधिकारी बीसीसीआई अध्यक्ष बनता है तो वह उसमें भी लगातार दो बार बीसीसीआई का कार्यकाल संभाल सकता है. इसमें एक बार कार्यकाल की समय सीमा तीन साल है. इस हिसाब से देखा जाए तो दो बार राज्य संघ (6 साल) और दो बार बीसीसीआई में लगातार (6 साल) मिलाकर कुल 12 साल बाद अब तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड बिताना होगा.
बता दें कि सौरव गांगुली ने 23 अक्टूबर 2019 को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था. वहीं जय शाह 24 अक्टूबर 2019 के बीसीसीआई के सचिव बने थे. इसके बाद अक्टूबर 2022 में में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था. ऐसे में अब कोर्ट के फैसले के बाद दोनों साल 2025 तक अपने पद पर बने रहेंगे.
क्या है मामला
बता दें कि साल 2018 में BCCI ये नियम लेकर आया था कि किसी को भी तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करना होगा. इसमें वहीं लोग शामिल होंगे जिन्होंने बोर्ड लेवल पर अपने दो कार्यकाल पूरे किए हों. ऐसे में 6 साल पूरे करने के बाद वह व्यक्ति खुद ही चुनाव की रेस से बाहर हो जाएगा. बीसीसीआई ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी और अपील की थी कि इस नियम में बदलाव किया जाए जिसके बाद कोर्ट ने बोर्ड की बात मान ली है.
ADVERTISEMENT