कुछ महीने पहले ये कहकर आंध्र प्रदेश क्रिकेट से दूर होने वाले भारतीय क्रिकेटर हनुमा विहारी कि उन्होंने अपना आत्मसम्मान खो दिया है, वो फिर उसी टीम के लिए खेलने को राजी हो गए हैं. उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी टीडीपी के जनरल सेक्रेटरी नारा लोकेश गारू के साथ मीटिंग के बाद अपना फैसला बदला. इसी साल फरवरी में विहारी ने कहा था कि वो आंध्र प्रदेश के लिए फिर नहीं खेलेंगे, क्योंकि उन्होंने वहां अपना आत्मसम्मान खो दिया है. उनका आरोप था कि आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को लगता है कि वो जो कहेंगे, खिलाड़ी को वो सुनना होगा. उनका आरोप था कि संघ ने उन्हें कप्तानी छोड़ने के लिए कहा था.
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उन्होंने एक खिलाड़ी और उसके पिता का संघ के फैसले पर प्रभाव के बारे में भी खुलासा किया था. अब उन्होंने अपने फैसले पर यूटर्न लेते हुए कहा कि वो आंध्र प्रदेश के लिए खेलते रहेंगे. उन्होंने नारा लोकेश से पूर्ण आश्वासन मिलने के बाद ये फैसला लिया. सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करके इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा-
समर्थन करने के लिए शुक्रिया सर, मैं आंध्र क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए बेकरार हूं. मुझे यकीन है कि आंध्र क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित है.
विहारी ने कुछ समय पहले आंध्र प्रदेश टीम को छोड़कर दूसरी टीम की तरफ से खेलने के लिए एनओसी ली थी. उन्होंने एसोसिएशन पर एनओसी देने में भी देरी करने का आरोप लगाया था.
हनुमा विहारी का आरोप
हनुमा ने फरवरी में एसोसिएशन पर आरोप लगाते हुए कहा था-
मैं कुछ फैक्ट सामने रखना चाहता हूं. बंगाल के खिलाफ पहले मैच में मैं कप्तान था. उस मैच के दौरान मैं 17वें खिलाड़ी पर चिल्लाया और उसने अपने पिता से शिकायत की, जो राजनेता हैं. इसके बाद उसके पिता ने एसोसिएशन में मेरे खिलाफ कार्रवाई की. मैंने व्यक्तिगत रूप से खिलाड़ी को कभी कुछ नहीं कहा, मगर संघ ने लगा कि वो खिलाड़ी उस व्यक्ति से अधिक अहम है, जिसने पिछले साल अपना शरीर दांव पर लगा दिया था. मैंने फैसला ले लिया है कि आंध्र प्रदेश के लिए अब मैं नहीं खेलूंगा, जहां मैंने अपना आत्मसम्मान खो दिया हैं.
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