'वो खाने का शौकीन था, कोच के फिटनेस रूटीन को नहीं कर पाता था फॉलो', भारतीय क्रिकेटर पर मोहम्मद कैफ का खुलासा

मोहम्मद कैफ ने वीरेंद्र सहवाग को लेकर कहा कि, जब हमारे कोच जॉन राइट थे तब उन्होंने फिटनेस रूटीन तैयार किया था. लेकिन सहवाग उसको फॉलो नहीं कर पाते थे.

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सहवाग के साथ जश्न मनाते सचिन और कैफ

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मोहम्मद कैफ ने सहवाग पर बड़ा खुलासा किया है

कैफ ने कहा कि सहवाग फिटनेस रूटीन फॉलो नहीं कर पाते थे

टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने वीरेंद्र सहवाग को लेकर ऐसा खुलासा किया है जो किसी फैन को नहीं पता. उस दौरान टीम के कोच जॉन राइट थे और उन्होंने खिलाड़ियों के लिए फिटनेस रूटीन तैयार किया था. लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत वीरेंद्र सहवाग को हो रही थी. कैफ ने खुलासा किया कि राइट ने खिलाड़ियों को फिट रखने के लिए सभी के लिए जिम जाना जरूरी कर दिया था. वहीं सभी को उन्हें ट्रेनिंग की अपडेट भी देनी पड़ती थी.

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कैफ ने खुलासा किया कि, हर खिलाड़ी जितनी एक्सरसाइज करता था उसकी जानकारी देता था. लेकिन सहवाग सारे बॉक्स टिक करते थे और ये दर्शाते थे कि उन्होंने सभी एक्सरसाइज किए हैं. महीने के अंत में सहवाग के 50-60 सेशन हो जाते थे जबकि बाकी खिलाड़ियों के 20-30 ही रहते थे. कैफ ने कहा कि सहवाग काफी फूडी थे और यही कारण था कि वो वर्कआउट रूटीन में नहीं ढल पाते थे.

सहवाग के लिए होती थी मुश्किल

कैफ से जब चीकी सिंगल्स पर पूछा गया कि फिटनेस रूटीन को फॉलो करने में सबसे ज्यादा दिक्कत किसे होती थी? इसपर कैफ ने सहवाग का नाम लिया. कैफ ने कहा कि, सहवाग को हमेशा ही कहा जाता था कि उन्हें फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए. जब जॉन राइट टीम के हेड कोच बने तब उन्होंने टीम के भीतर सभी के लिए जिम जाना और एक्सरसाइज करना जरूरी कर दिया था. ऐसे में हर किसी को रोजाना जाकर ये एक्सरसाइज करना होता था. यहां एक्सरसाइज करने के बाद सभी को ये बताना होता था और बॉक्स टिक करना होता था कि उन्होंने लेग्स, अपर बॉडी, कॉर्डियो और बाकी चीजों में क्या किया. सहवाग यहां सभी 4 बॉक्स टिक कर देते थे. जबकि बाकी खिलाड़ी एक यो दो बॉक्स ही टिक करते थे. एक महीने बाद सहवाग ने 50-60 बॉक्स टिक कर दिए जबकि हम लोगों ने 20-30 ही किए थे. वो काफी फूडी थे. ऐसे में उनके लिए फिटनेस रूटीन में ढलना बेहद मुश्किल हो गया था.

कैफ ने यहां एक और बात कही और बताया कि, फिलहाल मैच काफी ज्यादा होने लगे हैं. मुझे याद है जब मैं नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल खेल रहा था, तो इसके बाद मैंने अपना अगला वनडे खेला. तीन महीने बाद मैंने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी खेली. उस दौरान कम मैच होते थे और हमारे पास कंडीशनिंग के लिए समय रहता था. लेकिन वर्तमान में खिलाड़ियों को उतना समय नहीं मिलता है. मैच अब काफी ज्यादा बढ़ चुके हैं. इसलिए आज फिजियो और डॉक्टर की काफी ज्यादा बातें होती हैं. फिटनेस अब बेहद ज्यादा जरूरी हो चुका है. खिलाड़ी अब खुद का फिटनेस ट्रेनर और छेफ लेकर जाते हैं. हमारे समय ये सब नहीं होता था. 

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