साउथ ऑस्ट्रेलिया ने शेफील्ड शील्ड का खिताब जीत लिया. उसने फाइनल में क्वींसलैंड को चार विकेट से हराकर 29 साल बाद यह टूर्नामेंट अपने नाम किया. साउथ ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 270 रन का लक्ष्य मिला था. इसे उसने जेसन सांघा (126) और एलेक्स कैरी (105) के शतकों के दम पर छह विकेट गंवाकर हासिल कर लिया. एक समय टीम ने 28 रन पर तीन विकेट गंवा दिए थे लेकिन सांघा-कैरी ने मिलकर 202 रन की साझेदारी करते हुए साउथ ऑस्ट्रेलिया की नैया पार लगा दी. इसके जरिए सर्वोच्च लक्ष्य हासिल करने का रिकॉर्ड भी बना. इससे पहले 1990-91 के सीजन में विक्टोरिया ने न्यू साउथ वेल्स के खिलाफ दो विकेट पर 239 रन बनाकर जीत दर्ज की थी.
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भारतीय मूल के सांघा ने चौथी पारी में 192 गेंद का सामना किया और 16 चौके व दो छक्के लगाए. वहीं कैरी ने 132 गेंद में नौ चौकों व एक छक्के से 105 रन की पारी खेली. सांघा अंत तक डटे रहे और उन्होंने ही विजयी चौका लगाया. अगर वे डटे नहीं रहते तब मामला फंस सकता था. क्योंकि साउथ ऑस्ट्रेलिया ने पहले तीन विकेट 28 रन में गंवाए. इसके बाद 30 रन में फिर से तीन विकेट गिर गए मगर सांघा ने मैच को फिसलने नहीं दिया. उन्होंने जैसे ही विजयी रन बनाए वैसे ही दर्शक मैदान में दौड़े चले आए. उनमें से बहुत से लोगों ने उन्हें गले लगा लिया.
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शेफील्ड शील्ड फाइनल में क्या हुआ
मार्नस लाबुशेन की कप्तानी में खेल रही क्वींसलैंड की टीम पहली पारी में 95 रन पर ढेर हो गई थी. तब ब्रेंडन डॉगेट ने छह विकेट चटकाए और साउथ ऑस्ट्रेलिया को हावी किया. क्वींसलैंड के जवाब में साउथ ऑस्ट्रेलिया वे जेक लीमैन की 102 रन की शतकीय पारी के दम पर 271 रन का स्कोर बनाया. लीमैन ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेट डेरेन लीमैन के बेटे हैं. क्वींसलैंड ने दूसरी पारी में अच्छी बैटिंग की. जेक क्लेटन (100) और जेक विल्डरमुथ (111) ने शतक लगाए तो लाबुशेन (61) और मार्क स्टेकेटी (51) ने अर्धशतक जड़े. इससे टीम ने 445 रन का स्कोर बनाया और साउथ ऑस्ट्रेलिया को 270 का लक्ष्य मिला.
साउथ ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार 1995-96 में शेफील्ड शील्ड जीती थी. तब डेरेन लीमैन उस टीम का हिस्सा थे. अब 29 साल बाद फिर से यह टीम विजेता बनी है तब उनके बेटे इसका हिस्सा रहे.
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