बकरी चराने के बहाने खेलता था हॉकी, घर का सामान बेच खरीदी स्टिक, जानिए मिट्टी के घर में रहने वाले भारतीय दिग्‍गज की अनोखी कहानी

Nilam Sanjeep Xess Hockey Player: मुश्किलों में भाग जाना आसान होता है, हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है, डरने वाले को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में, लड़ने वालों के कदमों में जहां होता है.

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मुश्किलों में भाग जाना आसान होता है, हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है, डरने वाले को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में, लड़ने वालों के कदमों में जहां होता है...हिंदी की ये पंक्तियां भारतीय हॉकी टीम के डिफेंडर खिलाड़ी नीलम संजीप जेस (Nilam Sanjeep Xess) के जीवन पर हुबहू फिट बैठती है. जो अपने जीवन में तमाम मुसीबतों से भागे नहीं बल्कि लड़कर आगे बढ़ते रहे और अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटके. यही कारण है कि ओडिशा के एक गांव में मिट्टी के घर से निकलकर बकरियों को चराने के बहाने हॉकी खेलने वाला ये धुरंधर अब 13 जनवरी से शुरू होने वाले हॉकी वर्ल्ड कप 2023 में कदम रखने को तैयार है.

 

गरीब किसान परिवार में जन्मे नीलम 
नीलम की बात करें तो भारतीय हॉकी टीम के डिफेंडर खिलाड़ी का जन्म ओडिशा के सुंदरगढ़ के एक गांव कदोबहाल, रायबोगा में सात जनवरी 1998 को किसान परिवार में हुआ था. गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद नीलम को बचपन से ही हॉकी से प्यार था. मिट्टी और खपरैल से बने घर में रहने वाले नीलम बचपन में बकरी चराने के लिए खेतों में जाया करते थे. उसी समय वह घर वालों को बिना बताए हॉकी स्टिक पर अपने हाथ आजमाने लगे और उन्हें हॉकी के खेल से प्यार हो गया.

 

हॉकी खेलने पर पड़ी डांट 
ऐसे में नीलम के घर वालों को जब पता चला कि वह बिना बताए हॉकी खेल रहे हैं तो उन्हें काफी डांट सुननी पड़ी थी. नीलम के घर में बत्ती और पानी की सुविधा भी नहीं थी. इस अझेल गरीबी के बीच उनके घरवालों ने नीलम से कहा कि वह हॉकी में अपना समय बर्बाद ना करें और अपनी परिस्थितयों पर ध्यान दे. हालांकि इसके बावजूद नीलम ने हॉकी स्टिक का साथ नहीं छोड़ा.

 

उधार पैसे से खरीदते थे हॉकी स्टिक 
नीलम जब भी हॉकी खेलते थे तो कई बार उनकी हॉकी स्टिक टूट जाती थी. ऐसे में नीलम को हॉकी के खेल में आगे बढ़ता देख उनके परिवार वाले बाद में नीलम का साथ देने लगे. इतना ही नहीं नीलम को नई हॉकी स्टिक खरीदकर देने के चक्कर में उनके किसान माता-पिता कभी उधार लेते थे तो कभी घर का सामान बेचकर उन्हें नई हॉकी स्टिक देते थे. ऐसे में अपने बुरे समय को याद करके 24 साल के नीलम ने कहा, "मुझे बहुत ही बाद में पता चला की मेरे माता-पिता मुझे नई हॉकी स्टिक देने के लिए इन सब मुसीबतों का सामना करते थे."

 

साल 2016 से चर्चा में आए नीलम  
हॉकी के खेल में नीलम सबसे पहले तब चर्चा में आए जब उन्हें साल 2016 में बॉय अंडर-18 एशिया कप के लिए भारतीय हॉकी टीम का कप्तान (Indian Hockey Team Captain) चुना गया था. इसके बाद नीलम ने अपने शानदार खेल के दमपर साल 2016 में सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाई थी. इसके बाद अब वह एक बार फिर से भारतीय हॉकी टीम में रहते हुए अपनी टीम को 47 साल बाद हॉकी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जिताने के लिए पूरा दमखम लगा देंगे. 

 

 

( रिपोर्ट - अजय, ओडिशा)

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