Olympic : 1896 से शुरू होने वाले ओलिंपिक खेलों में भारत ने पहली बार कब लिया भाग, आजादी के बाद किसने दिलाया पहला सोना? यहां जानिए सब कुछ

Olympic : आधुनिक ओलिंपिक खेलों की शुरुआत साल 1896 में एथेंस से हुई और इन खेलों में भारत ने पहली बार कब लिया हिस्सा, यहां जानिए आजाद भारत में किसने दिलाया पहला गोल्ड मेडल.

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Shubham Pandey

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भारत को आजादी के बाद पहला मेडल हॉकी में मिला.

भारत को आजादी के बाद पहला मेडल हॉकी में मिला.

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Olympic : 1896 से हुई आधुनिक ओलिंपिक की शुरुआत

Olympic : भारत ने पहली बार ओलिंपिक में कब लिया भाग

Olympic : आधुनिक ओलिंपिक खेलों की शुरुआत साल 1896 में एथेंस से हुई. इसके बाद से लेकर अभी तक हर चार साल में खेलों का महाकुंभ कहे जाने वाले ओलिंपिक गेम्स का आयोजन होता आ रहा है. हर एक एथलीट का सपना इन खेलों में हिस्सा लेना और मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना होता है. ऐसें में साल 1896 के पहले ओलिंपिक में तो भारत ने भाग नहीं लिया था. लेकिन इसके बाद 1900 में हुए पेरिस ओलिंपिक में जरूर भारत ने भागीदारी का तमगा हासिल किया. लेकिन भारत के लिए भाग लेने वाला ये एथलीट कोई भारतीय नहीं बल्कि ब्रिटिश नागरिक था.


1900 पेरिस ओलिंपिक में मिलती है भारत की झलक  

 

दरअसल, आधुनिक ओलिंपिक का दूसरा एडिशन 1900 में पेरिस में आयोजित हुआ. इस समय कोलकाता में जन्में नार्मन प्रिचर्ड फ़्रांस में अपनी छुट्टियां मना रहे थे. लेकिन उन्होंने फिर अचानक ओलिंपिक गेम्स में भाग लेने का फैसला किया. ब्रिटिश मूल के भारतीय नागरिक नार्मन प्रिचर्ड ने पांच एथलेटिक्स इवेंट 60 मीटर, 100 मीटर, 200 मीटर, 110 मीटर हर्डल रेस और 200 मीटर हर्डल रेस में हिस्सा लिया. इन सभी इवेंट में भाग लेकर नार्मन ने एक नहीं बल्कि दो मेडल अपने नाम किए. उन्होंने 200 मीटर स्प्रिंट में सिल्वर और उसके बाद 200 मीटर हर्डल रेस में भी सिल्वर मेडल जीता. जिससे नार्मन ओलिंपिक मेडल जीतने वाले एशियाई मूल के पहले एथलीट भी बने.

 

नार्मन को आईओसी ने दी भारतीय होने की मान्यता

 

नार्मन ने जब 1900 ओलिंपिक में दो सिल्वर मेडल हासिल किए तो उनके भारतीय होने पर सवाल खड़ा किया गया. इस पर दस्तावेज सामने आए कि वह भारतीय पासपोर्ट के आधार पर यात्रा कर रहे थे. जबकि उनके पास भारत में जन्म लेने के प्रमाणपत्र भी था. जिससे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने उन्हें भारतीय होने का दर्जा दिया और इस तरह ओलिंपिक गेम्स में पहली बार भारत का नाम भी सामने आया.

 


भारत का पहला ओलिंपिक दल

 

नार्मन के बाद भारत में ओलिंपिक गेम्स को लेकर काफी तेजी से काम हुआ और पहली बार साल 1920 के एंटवर्प ओलिंपिक में भारतीय एथलीट का दल नजर आया. इसमें दोराब जी टाटा ने काफी अधिक सहयोग किया और 1920 ओलिंपिक में भारत को खेलने की अनुमति मिली. भारत के पहले दल में कुल पांच एथलीट गए थे. जिसमें फडेप्पा चौगुले (10000 मीटर और मैराथन), पुरमा बनर्जी (100 मीटर और 400 मीटर), सदाशिव दातार (मैराथन), कुमार नवाले और दिनका राव शिंदे (कुश्ती) शामिल थे. लेकिन कोई भी मेडल हाथ नहीं लगा था.

 

आजाद भारत का पहला ओलिंपिक दल और गोल्ड मेडल

 

साल 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद आजाद भारत का पहला ओलिंपिक दल 1948 के लंदन ओलिंपिक गेम्स में तिरंगे के साथ नजर आया. 1948 में भारत के आजाद ओलिंपिक दल में कुल 86 एथलीट थे, जिन्होंने नौ अलग-अलग खेलों एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, साइकिलिंग, हॉकी, फुटबॉल, तैराकी, वाटर पोलो, वेटलिफ्टिंग और कुश्ती जैसे खेल में जलवा दिखाया.

 

हॉकी ने जीता गोल्ड 


1948 में भारत की आजाद हॉकी टीम ने लगातार चौथा और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहला ओलिंपिक गोल्ड मेडल हासिल किया. जबकि इससे पहले भारतीय हॉकी टीम ने 1928, 1932 और 1936 में भी ओलिंपिक गोल्ड जीता था. लेकिन तब भारत पूरी तरह से अंग्रेजों के अधीन था. इस तरह भारत की ओलिंपिक में भागीदारी तीन हिस्सों में बंटी नजर आती है. 

 

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