Olympic: भारत को पहला पदक भारतीय ने नहीं बल्कि ब्रिटिश खिलाड़ी ने दिलाया था, 72 साल पहले रचा गया था इतिहास

First Olympic Medal India: पेरिस में इस साल होने वाला ओलिंपिक भारत के लिए कई मायनों में खास है, यह वही शहर है जहां भारत ने पहली बार ओलिंपिक में अपना पदक जीता था. 

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Neeraj Singh

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1900 में नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने भारत को दिलाया पहला ओलिंपिक पदक

1900 में नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने भारत को दिलाया पहला ओलिंपिक पदक

Story Highlights:

First Olympic Medal India: 1900 में नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने भारत को दिलाया पहला ओलिंपिक पदक

First Olympic Medal India: 1952 में स्वयंत्रता के बाद खशाबा दादासाहेब जाधव ने दिलाया भारत को पहला व्यक्तिगत पदक

आज से लगभग 100 साल पहले 1896 में ग्रीस के एथेंस में पहली बार मॉडर्न ओलिंपिक की शुरुआत हुई. ओलिंपिक एक ऐसा स्टेज बन चुका है जहां खिलाड़ियों को अपने प्रतिभा को पूरे विश्व के सामने दिखाने का मौका मिलता है. आज इस मल्टी-खेल टूर्नामेंट को 100 साल से ज्यादा हो चुके हैं और ऐसे में यहां हिस्सा लेने आए सैकड़ों देश के खिलाड़ियों का पदक जीतकर अपने देश का नाम रौशन करने का सपना होता है.  अब साल 2024 आ चुका है और ओलिंपिक में भारत की भी प्रतिभागिता बढ़ते जा रही है. 2020 तक भारत के पास कुल 35 ओलिंपिक पदक है जिसमें 10 स्वर्ण, 9 सिल्वर और 16 कांस्य है. लेकिन भारत ओलिंपिक में पहले मेडल जीतने का इतिहास अनोखा है जिसे एक ब्रिटिश मूल के खिलाड़ी ने जीता था.

 

स्वतंत्रता से पहले नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने भारत को दिलाया था पहला पदक

 

साल 1896 में ग्रीस के एथेंस शहर में पहली बार मॉडर्न ओलिंपिक का आयोजन हुआ जिसमें भारत ने हिस्सा नहीं लिया. लेकिन 1900 में हुए ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक के दूसरे संस्करण में भारत के विजयगाथा की शुरुआत हुई. 1900 में पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक का आयोजन किया गया जिसमें भारत ने अपना पहला पदक जीता.  1875 में कोलकाता शहर में जन्में नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड पहले ऐसे ब्रिटिश-भारतीय थे जिन्होंने भारत के लिए 1900 ओलिंपिक में पदक जीता था. भारत की ओर से नॉरमन एकमात्र एथलीट थे जिन्होंने 200 मीटर की स्प्रिंट और 200 मीटर हर्डल इवेंट में दो सिल्वर मेडल जीते थे.

 

फुटबॉल में भी माहिर थे

 

पदक जीतने के साथ नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने एक और रिकॉर्ड भी अपने नाम किया. नॉरमन ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले एशियाई एथलीट भी बने. बता दें कि प्रिचर्ड एक स्वाभाविक एथलीट थे. वह न केवल एक अच्छे धावक थे बल्कि अपने शुरुआती सालों के दौरान फुटबॉल के खेल को पसंद करते थे. और उन्होंने दोनों ही खेलों में महानता हासिल की थी. उनके सबसे मशहूर रिकॉर्ड्स में से एक तब था जब उन्होंने 1894 और 1900 के बीच लगातार सात सालों तक बंगाल में 100 गज की दौड़ जीती थी. उन्होंने भारत में एक ओपन फुटबॉल टूर्नामेंट में सेंट जेवियर्स के लिए सोवाबाजार के खिलाफ एक मैच में हैट्रिक भी दर्ज की थी.

 

बाद में, उन्होंने भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन के मुख्य पदाधिकारियों में से एक के रूप में काम किया. प्रिचर्ड ने 1900 में जूट बाजार में व्यापार करने के लिए अपने पिता के साथ इंग्लैंड की यात्रा की. तब उन्होंने इंग्लैंड में एथलेटिक सर्किट में भाग लेना शुरू किया, जिसने अंत में उन्हें 1900 के ओलिंपिक में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. हालांकि, 1900 के पेरिस ओलिंपिक में दो रजत पदक जीतने के बाद वह भारत लौट आए. बाद में फरवरी 1905 में प्रिचर्ड ने अंत में अपने जन्मस्थान कलकत्ता को अलविदा कह दिया और जूट का व्यापार जारी रखने के लिए इंग्लैंड लौट आए. अपने मूल स्थान पर लौटने से पहले, प्रिचर्ड को आईएफए द्वारा विदाई दी गई, जहां उन्होंने 1900 से 1905 तक संयुक्त मानद सचिव का पद संभाला था.

 

1952 में स्वतंत्रता के बाद मिला पहला व्यक्तिगत पदक

 

साल 1947 में ब्रिटिश सरकार से आजादी के बाद भारत को अपना पहला व्यक्तिगत ओलिंपिक पदक मिला. 1952 में हेलसिंकी में ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक का आयोजन किया गया. इसमें खशाबा दादासाहेब जाधव ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी बने जिसने आजादी के बाद भारत के लिए पहला व्यक्तिगत मेडल जीता. इसके साथ-साथ केडी जाधव एक ऐसे ओलिंपिक पदक धारक है जिन्हें अबतक पद्मश्री नहीं मिला है. 
 

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