40 साल से युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में कैसे दाखिल हुआ क्रिकेट, किस तरह हुआ लोकप्रिय, भारत का है खास योगदान

40 साल से युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में कैसे दाखिल हुआ क्रिकेट, किस तरह हुआ लोकप्रिय, भारत का है खास योगदान
राशिद खान और मुजीब उर रहमान अफगानिस्तान के दो कमाल के क्रिकेटर.

Highlights:

भारत अफगानिस्तान का दूसरा घर रहा है. अपने देश में सुविधाओं के अभाव में अफगानिस्तान टीम ने भारत को ही अपना घरेलू मैदान बनाया.अफगानिस्तान से इंग्लैंड से पहले वर्ल्ड कप में स्कॉटलैंड को पीटा था.

अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप 2023 में इंग्लैंड को हराकर 15 अक्टूबर को धमाका कर दिया. दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेले गए मुकाबले को अफगान टीम ने 69 रन से अपने नाम किया और इंग्लिश टीम को पहली बार किसी फॉर्मेट में पीटा. मगर युद्ध से जूझते अफगानिस्तान में क्रिकेट की दीवानगी की कहानी भी रोचक है. इस देश में युद्ध भी क्रिकेट को लोकप्रिय करने की एक वजह है. साथ ही पाकिस्तान और भारत के सहयोग ने उसे बढ़ावा दिया. अफगानिस्तान के पत्रकार इनायतुल्लाहक यासिनी ने वर्ल्ड कप में जीत के बाद कहा, ‘करीब चार दशक तक युद्ध की विभीषिका झेलने वाले देशवासियों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम सिर्फ क्रिकेट ने किया है और यह जीत देश के क्रिकेट इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी.’

 

बीबीसी की विश्व सेवा (अफगानिस्तान) के लिए काम करने वाले यासिनी ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा, ‘1979 में जब रूस ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो लाखों लोगों ने पाकिस्तान पलायन किया. उन्होंने शरणार्थी शिविरों में क्रिकेट खेला और वहीं सीखा. उस समय हमारे पास राष्ट्रीय टीम भी नहीं थी. ये लोग जब अफगानिस्तान लौटे तो क्रिकेट उनके साथ आया.’

 

अफगानिस्तान के जीतने पर होता है त्योहार का माहौल

 

काबुल में जन्मे और पूर्वी अफगानिस्तान के जलालाबाद से ताल्लुक रखने वाले यासिनी ने कहा, ‘पिछले 20 साल में वहां क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ी और अब सबसे ज्यादा देखा जाने वाला खेल है. अफगानिस्तान में क्रिकेट का क्रेज है और देश में दूर दराज के इलाकों में भी टीवी के आगे नजरें गड़ाए लोग टीम को खेलते देखते हैं. जब अफगानिस्तान जीतता है तो देश में त्योहार सा माहौल हो जाता है. ऐसे भी लोग हैं जो क्रिकेट नहीं समझते लेकिन अफगानिस्तान ध्वज को लहराते देखने के लिये मैच देखते हैं. मुझे मैसेज आने शुरू हो गए हैं जो लोगों की खुशी बयां कर रहे हैं. अफगानिस्तान ही नहीं दुनिया भर में बसे अफगान लोगों के लिए यह ऐतिहासिक दिन है.’

 

उन्होंने कहा, ‘यह जीत बहुत अहम है. इससे पहले कभी अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हराया नहीं है और विश्व कप में यह अफगानिस्तान की दूसरी ही जीत है. इससे टीम का मनोबल भी बढ़ेगा क्योंकि अफगानिस्तान को अभी टूर्नामेंट में छह मैच और खेलने हैं. अब 23 अक्टूबर को पाकिस्तान से सामना है और अफगान टीम के हौसले बुलंद होंगे. मैंने यहां कई अफगान लोगों से बात की है जिनका कहना है कि उनका विश्व कप पाकिस्तान के खिलाफ मैच जीतना होगा.’

 

भारत ने कैसे की अफगानिस्तान टीम की मदद

 

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अफगानिस्तान के इस सफर का श्रेय काफी हद तक भारत और आईपीएल को देते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत अफगानिस्तान का दूसरा घर रहा है. अपने देश में सुविधाओं के अभाव में अफगानिस्तान टीम ने भारत  ग्रेटर नोएडा और देहरादून) को ही अपना घरेलू मैदान बनाया हमारे खिलाड़ी आईपीएल में खेलते हैं जिससे उन्हें अनुभव मिल रहा है और अफगानिस्तान में युवा क्रिकेटरों को उम्मीद की किरण भी मिलती है. वे राशिद खान, मुजीब, नबी जैसे क्रिकेटरों को आईपीएल में चमकते देखते हैं तो प्रेरित होते हैं.’

 

उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को हालांकि आईसीसी और बाकी देशों से और सहयोग की जरूरत है. हमारे पास क्रिकेट का बुनियादी ढांचा नहीं है. एक ही विश्व स्तरीय मैदान काबुल में है. लेकिन हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है. उम्मीद है कि यह जीत एक नयी इबारत गढ़ेगी.’

 

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