भारतीय क्रिकेट में पिछले एक साल से वर्कलोड मैनेजमेंट शब्द काफी इस्तेमाल किया गया है. खिलाड़ियों के लगातार चोटिल होने के चलते बोर्ड का ध्यान इस ओर गया है. आईपीएल से पहले कहा गया था कि जो तेज गेंदबाज वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में खेलेंगे उनके खेलने का ध्यान रखा जाएगा जिससे वे चोटिल न हों और फिट रहे. मगर आईपीएल फ्रेंचाइज पंजाब किंग्स (Punjab Kings) के सह मालिक नेस वाडिया (Ness Wadia) की राय इस मामले में काफी अलग है. उनका कहना है कि आईपीएल में एक टीम 14 के आसपास मैच खेलती है. भारतीय टीम एक साल में इससे कहीं ज्यादा मुकाबले खेलती है तो बोर्ड को अलग-अलग फॉर्मेट के हिसाब से अपनी टीम बनानी चाहिए. इससे वर्कलोड मैनेजमेंट भी हो जाएगा और टीम पर असर नहीं पड़ेगा.
स्पोर्ट्स तक से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'आईपीएल में आज हम एक सीजन में 14 मैच खेलते हैं. भारतीय टीम की बात करूं तो मेरे अंदाजे से एक साल में टेस्ट, वनडे और टी20 मिलाकर 120 के आसपास मैच होते हैं. तो हम लोग जो कुछ भी करेंगे उसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. मैं समझता हूं कि तीनों फॉर्मेट के हिसाब से टीम रखनी चाहिए. इंग्लैंड ने दिखाया है कि कैसे हर फॉर्मेट में अलग खिलाड़ी हो सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा किया है. अब स्पेशलाइज्ड हो गया है.'
हर फॉर्मेट के हिसाब से हो स्पेशलिस्ट खिलाड़ी
वाडिया ने चेतेश्वर पुजारा का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे वे केवल टेस्ट खेलते हैं वैसे ही बाकी फॉर्मेट में भी स्पेशलिस्ट खिलाड़ी होने चाहिए. उन्होंने कहा, 'चेतेश्वर पुजारा को देखिए वे टेस्ट ही खेलते हैं. ऐसा ही सभी फॉर्मेट में करना चाहिए. इससे न केवल हमारे पास तीनों फॉर्मेट के लिए जोरदार बेंच स्ट्रेंथ होगी बल्कि हमारे मुख्य खिलाड़ियों को भी आराम मिलेगा. इससे दूसरे खिलाड़ियों को भी अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिलेगा जिससे बेंच स्ट्रेंथ की ताकत बढ़ेगी.'
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