आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 (World Cup 2023) में टीम इंडिया के लिए मध्यक्रम की जान बने केएल राहुल (KL Rahul Struggle Story) को हर एक भारतीय फैंस भली भांति जानता है. क्रिकेट के सफर में तमाम उतार-चढ़ाव को पार करे हुए राहुल ने ना सिर्फ बतौर बल्लेबाज बल्कि विकेटकीपर के तौरपर भी टीम इंडिया में स्थायी जगह बनाई और मई माह में आईपीएल 2023 के दौरान चोटिल होने के बाद वह और मजबूत बनकर क्रिकेट के मैदान में वापस आए हैं. भारत के केएल राहुल अपने करियर में कैसे क्लासी राहुल बनें और उनकी मां ने राहुल नाम को लेकर क्यों सालों तक झूठ बोला. जिसका खुलासा काफी बाद में हुआ और पिता के प्रोफेसर होने के बावजूद वह कैसे कर्नाटक के मंगलूरु शहर से निकलकर बल्लेबाजी में अब विश्व पटल पर कई कीर्तिमान अपने नाम कर चुके हैं. इसकी स्टोरी जानते हैं.
मां ने बोला झूठ और धोखे से रखा 'राहुल' नाम
राहुल का जन्म 18 अप्रैल 1992 को कर्नाटक के बेंगलुरु के मंगलूरु शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम केएन राहुल है. जबकि राहुल की माता का नाम राजेश्वरी है. राहुल की एक बहन भावना भी है. राहुल के पिता पेशे से कर्नाटक के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफ़ेसर हैं. लेकिन वह क्रिकेट के बहुत बड़े फैन हैं. जिमसें भारत के दिग्गज सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर की बैटिंग उन्हने काफी रास आती थी. यही कारण था कि वह भी चाहते थे कि उनका बेटा एक प्रोफेशनल क्रिकेटर बने. जिसके लिए केएल राहुल को उन्होंने क्रिकेट में हाथ आजमाने में काफी सपोर्ट किया.
राहुल के पिता सुनील गावस्कर के काफी बड़े फैन थे. इसलिए अपने बेटे का नाम गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर के नाम पर रोहन रखना चाहते थे. लेकिन उन्हें लगा गावस्कर के बेटे का नाम रोहन नहीं राहुल है. जिसके चलते पिता से धोखा हो गया और उन्होंने अपने बेटे का नाम राहुल रख दिया. इस पर केएल की मां उनसे झूठ कहती रहीं कि उन्होंने शाहरुख़ खान की फिल्म में शाहरुख़ का नाम राहुल देखकर उनका नाम राहुल रखा. जिस पर केएल राहुल ने ब्रेक फ़ास्ट विथ चैंपियंस शो में खुलासा करते हुए बताया कि जब मैं 27 से 28 साल का हो गया. इसके बाद मेरी मां ने बताया कि कैसे पिता की गलती की वजह से उनका नाम राहुल रखा गया था.
10 साल की उम्र में थामा बल्ला
केएल राहुल ने महज 10 साल की उम्र से ही अकादमी में क्रिकेट के गुर सीखने शुरू कर दिए थे. उनके पहले कोच सैमुअल जयराज ने स्पोर्ट स्टार से बातचीत में बताया था कि मैने उसे प्रैक्टिस के लिए शाम को साढ़े तीन बजे बुलाया था. लेकिन वह ढाई बजे ही एक घंटे पहले अपने किट बैग के साथ मैदान आ जाया करता था. राहुल के अंदर खेल के प्रति बेजोड़ लगन थी. जिसके चलते उसने आगे बढ़ने में ज्यादादेर नहीं लगाई और घरेलू क्रिकेट के लिए अपने कदम आगे बढाए. कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन की अकादमी के लिए प्रति दिन 20 किलोमीटर का सफर बस से किया करते थे. जिसमें काफी समय भी लगता था. लेकिन राहुल ने हार नहीं मानी और अपने शुरुआती संघर्ष से वह कभी पीछे नहीं हटे.
साल 2010 में घरेलू क्रिकेट में रखा कदम
राहुल ने अपने दमदार प्रदर्शन की वजह से साल 2010 में कर्नाटक की घरेलू क्रिकेट टीम में जगह बनाई और इसके बूते अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में भी उनका चयन हुआ. अंडर-19 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद राहुल ने साल 2014-15 में होने वाली दलीप ट्रॉफी में साउथ जोन से खेलते हुए डेब्यू मैच की पहली पारी में 185 रन और दूसरी पारी में 130 रन बनाए. यहीं से केएल राहुल का नाम घरेलू पटल पर सामने आया और दलीप ट्रॉफी में रन बरसाने के बाद इस युवा बल्लेबाज को टीम इंडिया से पहली बार कॉल भी आ गया.
साल 2014 में किया पहला धमाका
दलीप ट्रॉफी में जमकर रन बरसाने के बाद राहुल को साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली टेस्ट टीम इंडिया में जगह मिली. रोहित शर्मा की जगह विराट कोहली की कप्तानी में राहुल को मेलबर्न के बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में मौका मिला. लेकिन पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में वह एक रन ही बना सके. मगर कोहली ने उनपर विश्वास जताए रखा और सिडनी टेस्ट मैच में राहुल ने ओपनिंग करते हुए 110 रनों की शतकीय पारी से भारतीय क्रिकेट में अपने नाम का डंका बजवा दिया. इसके बाद साल 2016 में जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे डेब्यू करते हुए शतक जड़ डाला. जिससे वनडे डेब्यू में सेंचुरी जड़ने वाले वह पहले भारतीय क्रिकेटर बने और इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. यही कारण है कि राहुल अब रोहित शर्मा की कप्तानी वाली टीम इंडिया के मध्यक्रम की जान बनकर सामने आए हैं. वर्ल्ड कप 2023 में राहुल अभी तक 6 मैचों की पांच पारियों में 216 रन ठोक चुके हैं. भारत को अगर वर्ल्ड कप 2023 की ट्रॉफी हासिल करनी है तो राहुल का मध्यक्रम में फॉर्म में रहना काफी जरूरी है. क्योंकि जिस दिन टॉप ऑर्डर धड़ाम होता है. उस दिन राहुल विकेट पर लंगड़ डालकर विरोधी टीमो को बैकफुट पर धकेल देते हैं.
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