भारत और ऑस्ट्रेलिया दूसरा टेस्ट 6 दिसंबर से एडिलेड में खेलेंगे. यह मुकाबला डे-नाइट का रहेगा. इसमें गुलाबी गेंद से टक्कर रहेगी. भारत पर्थ टेस्ट जीत चुका है और पांच मैच की सीरीज में 1-0 से आगे है. अब उसके सामने एडिलेड में पिंक बॉल की चुनौती है. इस मैदान पर इसी गेंद के सामने चार साल पहले भारत 36 रन पर ऑलआउट होकर हार गया था. ऐसे में दिलचस्पी है कि दूसरे टेस्ट में कैसी पिच होगी, कितनी घास रहेगी, किसको मदद मिलेगी, तेज गेंदबाजों की तूती बोलेगी या स्पिनर्स मौज काटेंगे. एडिलेड ओवल के पिच क्यूरेटर डेमियन हॉग ने इन सवालों के जवाब दे दिए. उन्होंने कहा कि यहां पेसर्स और स्पिनर्स दोनों की ही धमक रहेगी.
हॉग ने दूसरे टेस्ट से पहले 4 दिसंबर को मीडिया से कहा, ‘इतिहास से पता चलता है कि एडिलेड में दूधिया रोशनी में बल्लेबाजी करना मुश्किल होता है. पिच पर छह मिली मीटर घास होगी. हम प्रयास कर रहे हैं कि मैच के दौरान खेल के सभी पहलुओं को भूमिका निभाने का मौका मिले. हम ऐसी घास छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं जो सूखी और सख्त हो. और हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं जिससे कि अधिक से अधिक गति और उछाल हासिल कर सकें. स्पिन आमतौर पर भूमिका निभाती है इसलिए घास के कारण गेंद तेजी से निकल सकती है और आम तौर पर अच्छा उछाल मिलता है. यही योजना है. उम्मीद है कि जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती जाएगी बल्लेबाज इसका फायदा उठा पाएंगे और अगर कोई साझेदारी होती है तो वे इसका फायदा उठाएंगे.’
साल 2020 में इसी मैदान पर दूसरी पारी में भारत के 36 रन पर ढेर होने के बाद यह ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया का गुलाबी गेंद का पहला टेस्ट होगा. हॉग ने हालांकि कहा कि तब भी पिच में कोई खराबी नहीं थी. उन्होंने कहा, तीसरे दिन की सुबह किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि वह टेस्ट मैच तीन दिन में खत्म हो जाएगा. वह सब ऑस्ट्रेलिया की कमाल की बॉलिंग के चलते हुआ. मुझे नहीं लगता कि पिच ने कोई भूमिका निभाई थी.
पर्थ टेस्ट में स्पिनरों की अधिक भूमिका नहीं थी और क्यूरेटर ने कहा कि एडिलेड में स्पिनर्स को अधिक सहायता मिलेगी. हॉग ने कहा, ‘स्पिन हमेशा एडिलेड में अहम भूमिका निभाती है. आपको एक स्पेशलिस्ट स्पिनर चुनने की जरूरत है. कभी भी ‘हम चुने या नहीं?’ का सवाल नहीं होना चाहिए. हमेशा स्पिनर होना चाहिए. मेरी तरफ से हमेशा एक स्पिनर चुनें. उस अतिरिक्त घास को छोड़ने का विचार यही है कि स्पिनर को इससे फायदा मिले.’