नीतीश कुमार रेड्डी ने मेलबर्न टेस्ट में शतक लगाया. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथे टेस्ट के तीसरे दिन इस 21 साल के खिलाड़ी ने 171 गेंद में 100 रन का आंकड़ा पार कर इतिहास रचा. यह नीतीश रेड्डी के टेस्ट और इंटरनेशनल करियर का पहला शतक रहा. उन्होंने इसी सीरीज से भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत के सबसे तगड़े बल्लेबाज बनकर उभरे हैं. लेकिन उनके क्रिकेटर बनने का रास्ता आसान नहीं था. पिता मुत्याला रेड्डी को काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्होंने बेटे का करियर बनाने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी दी थी जिसमें उनका 25 साल का करियर बचा था. कई बार पैसों की तंगी भी झेली तो रिश्तेदारों ने भी खूब ताने मारे. यही सब देखकर नीतीश को मोटिवेशन मिली कि वे क्रिकेट में अपना सिक्का जमाएंगे.
नीतीश के पिता ने 25 साल की सरकारी नौकरी छोड़ी
नीतीश के पिता ने मार्च 2012 में हिंदुस्तान जिंक की सरकारी नौकरी छोड़ी. वे विशाखापटनम प्लांट में काम कर रहे थे लेकिन इसे बंद कर दिया गया और उन्हें उदयपुर जाने के लिए कहा गया. लेकिन नीतीश के करियर को देखते हुए उन्होंने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और नीतीश को क्रिकेटर बनाने के लिए खुद को झोंक दिया. उन्होंने इस बारे में एक बार कहा था, 'उस समय नीतीश क्रिकेट की बुनियादी बातें सीख रहा था और मैंने सोचा कि अगर मैं उदयपुर में गया तो मैनेज करना मुश्किल हो जाएगा. हमें इस बात पर भी भरोसा नहीं था कि वहां पर क्रिकेट की सुविधाएं कैसी होंगी इसलिए मैंने सोचा कि बेहतर होगा कि मैं यहीं रहूं और नीतीश को मदद करूं.'
नीतीश रेड्डी के पिता ने कहा था- उसकी पढ़ाई की चिंता मत करना
नीतीश के पिता नौकरी छोड़ने के बाद पूरी तरह से अपने रिटायरमेंट फंड से मिलने ब्याज के पैसों के भरोसे थे. इसी से वह घर चलाते और नीतीश को अलग-अलग कोचिंग सेशन के लिए लेकर जाते. इस दौरान उनकी पत्नी मनसा उनके साथ डटकर खड़ी रही. मुत्याला ने बताया, 'मुझे केवल एक ही शख्स की चिंता थी और केवल उसी को मैं जवाबदेह था, वह थी मेरी पत्नी. मैंने उनसे बात की और कहा कि हमें गैरजरूरी खर्चे खत्म करने होंगे और उन्हें राजी किया कि साधारण जिंदगी जीनी होगी. उसने कुछ नहीं कहा, बस सहमति में गर्दन हिलाई. वह आज तक मेरी मजबूती का सबसे बड़ा सॉर्स रही हैं. मैंने पत्नी से कहा तुम हमारी बेटी और उसकी पढ़ाई की परवाह करो. मैं नीतीश और उसकी क्रिकेट को संभालूंगा. उसकी पढ़ाई-लिखाई की ज्यादा चिंता मत करना.'