टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर ने विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों के साथ परिवार को ले जाने पर लगाई गई पाबंदी पर प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि खिलाड़ी एक मकसद से विदेश में खेलने जाते हैं. वे छुट्टी पर नहीं जाते हैं. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हार के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों के लिए नए नियम जारी किए थे. इसके तहत 45 दिन या इससे लंबे दौरे पर खिलाड़ियों के साथ केवल 15 दिन ही परिवार रह सकता है. इससे छोटा दौरा रहने पर साथ रहने की अवधि भी घट जाएगी. बीसीसीआई ने इसके साथ ही खिलाड़ियों के निजी स्टाफ पर भी अंकुश लगाया था.
गंभीर ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में चल रहे टेस्ट से ठीक पहले सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क से बात की. इसमें उन्होंने परिवार के साथ रहने से जुड़े सवाल का जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'परिवार जरूरी है लेकिन आपको यह समझना होगा कि वे किसी मकसद से यहां पर हैं. यह छुट्टी नहीं है. आप किसी बड़े मकसद के चलते जाते हैं. बहुत कम लोगों को ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बनकर देश को गर्व कराने का मौका मिल पाता है. इसलिए हां, मैं परिवार को साथ रखने के खिलाफ नहीं हूं. परिवार का साथ रहना जरूरी है. लेकिन अगर आपका ध्यान देश को गर्व कराने का है और आपके पास बहुत बड़ी भूमिका है, किसी लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं, किसी काम को कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि सब ठीक है लेकिन मेरे लिए वह काम और लक्ष्य किसी दूसरी चीज से ज्यादा जरूरी है.'
गंभीर कैसे खुद को करते हैं स्विच ऑफ
गंभीर से जब पूछा गया कि वे किस तरह से एक मैच से दूसरे के बीच में रिलैक्स करते हैं, 'कैसे खुद को स्विच ऑफ कर पाते हैं. इस पर भारतीय कोच ने जवाब दिया, मैं कभी स्विच ऑफ नहीं होता. कभीकभार यह मजेदार होता है और यह अजीब है. ईमानदारी से कहूं तो जब हमने पिछला टेस्ट जीता उसी समय पहली चीज दिमाग में आई कि अगले टेस्ट मैच में टीम कॉम्बिनेशन कैसा होगा. और जब मैं अपने कमरे में गया तो सोच रहा था कि यह कैसे होगा. खिलाड़ियों ने कमाल का खेल दिखाया लेकिन मैं सोच रहा हूं कि कॉम्बिनेशन कैसा होगा, कैसे अगला टेस्ट जीतेंगे. लेकिन मैं अभी भी समझ नहीं पाया हूं. ईमानदारी से कह रहा हूं स्विच ऑफ कैसे होते हैं. मैं जब किसी दौरे पर हूं तो स्विच ऑफ नहीं हो पाता. मैं हर दिन खेल के बारे में सोचता रहता हूं.'