केपटाउन. भारत और साउथ अफ्रीका के बीच केपटाउन टेस्ट में रोमांचक भिड़ंत का मंच तैयार हो चुका है. तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में दोनों टीमें 1-1 से बराबरी पर हैं. भारत ने जहां सेंचुरियन में 113 रन से जीत हासिल की तो साउथ अफ्रीका ने जोहानिसबर्ग में 7 विकेट से बाजी अपने नाम की. अब केपटाउन टेस्ट से पहले हुई भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली के फिट होकर टीम में लौटने से भी टीम इंडिया का विश्वास बढ़ा है. मैच से पहले हुई प्रेस कांफ्रेंस में कोहली ने मोहम्मद सिराज की फिटनेस से लेकर ऋषभ पंत के लापरवाह रवैये तक हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी. विराट की प्रेस कांफ्रेंस अगर आप नहीं सुन पाए तो इस खबर में उसके हर पहलू को जानिए.
1. मोहम्मद सिराज खेलने लायक नहीं
फिलहाल मुझे नहीं लगता कि मोहम्मद सिराज केपटाउन में होने वाले आखिरी टेस्ट मैच में उतरने के लिए पूरी तरह फिट हैं. हम अभी सिराज के विकल्प पर बात करने के लिए नहीं बैठे हैं और इस पर कोई फैसला अभी नहीं हुआ है. हमारे लिए ये तय करना मुश्किल है कि सिराज की जगह कौन केपटाउन टेस्ट में खेलेगा. ऐसे में आपको एक अच्छा डिस्कशन करना होगा. आप बेशक ऐसे खिलाड़ी के साथ जोखिम नहीं ले सकते जो तेज गेंदबाज के रूप में 110 प्रतिशत फिट नहीं है और हमें पता है कि छोटी-मोटी चोट कितनी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह बढ़कर बड़ी चोट बन सकती है.
2. रवींद्र जडेजा की कमी खल रही
सभी जानते हैं रवींद्र जडेजा हमारे लिए क्या करते आए हैं. लेकिन रविचंद्रन अश्विन भी वो सब और उससे कहीं ज्यादा कर रहे हैं. अश्विन जानते हैं कि उनका खेल अब तेजी से आगे बढ़ा है. वो शानदार लय में हैं. ऐसे में दोनों की विशेषताओं को देखते हुए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन खेल रहा है.
3. मिडिल ऑर्डर की गुत्थी
पिछले टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे ने बेहतरीन बल्लेबाजी की. उनका अनुभव हमारे लिए बेशकीमती है. जब आप विदेा में खेल रहे होते हो तो इन खिलाडि़यों का प्रदर्शन हमेशा आगे होता है.
4. पंत का लापरवाह रवैया और धोनी की सलाह
बल्लेबाज जानता है कि वह कब सही या गलत शॉट खेलता है. जब तक खिलाड़ी इसे स्वीकार करता है वो आगे बढ़ता रहता है. उस समय खिलाड़ी की मानसिकता को समझना जरूरी है. गलतियों को न दोहराना महत्वपूर्ण है. धोनी भाई ने मुझसे कहा था कि, आपकी गलती के बीच में 6-7 महीने का गैप होना चाहिए. अगर आप लगातार गलती करोगे तो आपका करियर आगे नहीं बढ़ेगा. इसलिए गलतियों को कम करना जरूरी है तभी आप अपने करियर में ऊपर उठ सकते हो. ऋषभ पंत के साथ टीम मैनेजमेंट ने बात की है. प्रैक्टिस के दौरान उनसे बात हुई है. गलतियां हम सबसे होती है. लेकिन उन गलतियों से सीखने की जरूरत है.
5. शतकों के सूखे पर पलटवार
यह पहली बार नहीं है जब मैं बल्लेबाजी में खराब दौर से गुजर रहा हूं. मैं खुद को उस नजरिए से नहीं देखता, जिससे बाहरी दुनिया देखती है. मैंने बेंचमार्क सेट किया है, मैं टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं. आपको यह समझना होगा कि कभी-कभी चीजें उस तरह से नहीं होती हैं जैसा आप चाहते हैं. कभी-कभी फोकल प्वाइंट को शिफ्ट करना पड़ता है. यदि आप हर समय अपने आप को मील के पत्थर से आंकते हैं, तो आप कभी खुश नहीं होंगे. मैं जिस तरह से खेल रहा हूं और टीम में योगदान दे रहा हूं, उससे खुश हूं. जब तक मैं सही चीजें कर रहा हूं, मुझे दूसरी चीजों की चिंता नहीं है.
6. टेस्ट क्रिकेट का सफर
जब मैंने टेस्ट टीम की कमान संभाली थी तब टीम सातवें नंबर पर थी. वास्तव में हम उसके हकदार नहीं थे. अब हम नंबर वन हैं. इसकी वजह पूरी टीम का मिलाजुला जुनून है. यही वजह है कि मुझे मोर्चे से अगुआई करनी ही थी. अगर आपके अंदर वो जुनून और जज्बा नहीं है तो आप टेस्ट क्रिकेट में मैनेज नहीं कर सकते.
7. भारत के तेज गेंदबाजी पर गर्व
हमारे पास कई तेज गेंदबाज हैं और हर टेस्ट से पहले ये सवाल होता है कि कौन खेलेगा. लोग मैदानी हालात से पहले हमारी टीम के तेज गेंदबाजी लाइनअप के बारे में सोचते हैं. ये बड़े गर्व की बात है.
8. जोहानिसबर्ग टेस्ट में कैसी थी राहुल की कप्तानी
केएल राहुल ने बैलेंस कप्तानी की. हालांकि सबका अलग स्टाइल होता है. मैं होता तो शायद कुछ अलग करता. जोहानिसबर्ग टेस्ट में केएल राहुल की फील्ड प्लेसमेंट और योजना ये बता रही थी कि उनकी कोशिश विकेट लेने की ही थी, लेकिन साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया.
9. चोटों पर कही ये बात
भुवनेश्वर कुमार ने काफी मैच खेले. रवींद्र जडेजा भी अधिकतर मैचों में हिस्सा लेते हैं. ऐसे में खिलाडि़यों का चोटिल होना स्वाभाविक हो गया है. हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे चीजें सुधरेंगी. खिलाडि़यों और उन्हें लगने वाली चोटों को संभालना काफी अहम है. हम महत्वपूर्ण मुकाबलों से पहले खिलाडि़यों को नहीं खो सकते.
10. टेस्ट क्रिकेट में मानसिकता पर
खिलाड़ी टीम के लिए असरदार प्रदर्शन करने का रास्ता देख रहे हैं. ये तभी मुमकिन है जब आपके अंदर टेस्ट मैच जीतने की अपार भूख हो. हो सकता है कि हमें खेल के हर विभाग में मात मिल जाए. ये हमारी कोशिश होती है कि हम नतीजे तलाशेंं और आगे बढ़ें.