भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंद की बहन आर वैशाली को फिडे ने हाल में आधिकारिक रूप से ग्रैंडमास्टर का दर्जा दिया. जिसके बाद वैशाली ने खुलासा किया है कि ऐसा भी समय था जब वह इस उपलब्धि को हासिल करने को लेकर अनिश्चित थीं. स्पेन में लोब्रेगेट ओपन टूर्नामेंट में वैशाली ने जरूरी 2500 ईएलओ अंक जुटा लिए थे और कोनेरू हंपी और हरिका द्रोणावल्ली के बाद ग्रैंडमास्टर बनने वाली तीसरी महिला बनी थी.
हालांकि वैशाली को आधिकारिक तौर पर दर्जा पिछले महीने टोरंटो में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के दौरान फिडे परिषद की बैठक के बाद दिया गया. वैशाली ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा-
मुझे पता था कि किसी दिन यह ग्रैंडमास्टर में बदल जाएगा. मैंने इसके बारे में इतना अधिक नहीं सोचा. हां इसे आधिकारिक होने में कुछ समय लगा, लेकिन मुझे खुशी है कि आखिरकार ये दर्जा मिल गया.
22 साल की वैशाली ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए लगातार पांच बाजी जीती और संयुक्त रूप से दूसरा स्थान हासिल किया. वह 2018 में लातविया के रीगा में रीगा टेक्निकल यूनिवर्सिटी ओपन के दौरान अपना अंतिम महिला ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल करके महिला ग्रैंडमास्टर बनीं. हालांकि इसके बाद उन्हें ग्रैंडमास्टर का दर्जा हासिल करने में छह साल लग गए.
कुछ ऐसे क्षण भी आए जब मुझे लगा कि शायद मुझे दर्जा नहीं मिलेगा, लेकिन लोगों ने मुझ पर विश्वास किया और इसे हासिल करने में मेरी मदद की.
वैशाली आर प्रज्ञानानंद की बड़ी बहन हैं. वे इस साल कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाली भाई-बहन की पहली जोड़ी बनी थी.
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