आईपीएल 2025 में पिछले दिनों अंपायर्स ने हार्दिक पंड्या और शिमरॉन हेटमायर के बल्लों की जांच की थी. यह पहली बार देखा गया था कि किसी बल्लेबाज के बैटिंग शुरू करने से पहले बल्ले की जांच हुई. अब सामने आया है कि हर बल्लेबाज के साथ ऐसा होगा. आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने यह फैसला किया है. इसके तहत ओपनर्स के बल्लों की जांच चौथा अंपायर करेगा तो उनके बाद आने वाले बल्लेबाज के बल्ले को मैदानी अंपायर चैक करेंगे. इसके लिए अंपायर्स के पास एक माप होगी जिसमें से बल्ले को निकाला जाएगा. इस सीजन से पहले मैच से एक दिन पहले बल्लों की जांच होती थी. लेकिन उस सिस्टम में बल्लेबाज मैच वाले दिन अलग बल्ले ले आया करते थे जिससे वे बच जाया करते थे.
बीसीसीआई ने बल्लों की जांच करने का फैसला ऐसे समय में किया है जब कई बल्लेबाजों ने तय सीमा से बड़े बल्लों के जरिए बैटिंग की. अभी तक आईपीएल में अगर किसी बल्लेबाज ने ऐसा किया तो उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. वहीं इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप में पिछले साल नॉटिंघमशर को पॉइंट्स गंवाने पड़े थे क्योंकि वहां पर एक बल्लेबाज का बल्ला तय सीमा से मोटा था. आईपीएल में अंपायर्स को बल्लों की जांच के लिए त्रिकोण जैसा प्लास्टिक का माप दिया गया है. इस पर लिखा है- गहराई 2.68 इंच, चौड़ाई 4.33 इंच, किनारे 1.61 इंच. वहीं बल्ले का उभार 0.20 इंच के अंदर होना चाहिए.
आईपीएल चेयरमैन ने बैट जांच पर क्या कहा
आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल ने बल्लों की जांच को लेकर दी इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि मैदान पर बराबरी के मुकाबले के लिए यह कदम उठाया गया. उन्होंने कहा, 'किसी को नहीं लगना चाहिए कि कोई बेमतलब का फायदा ले रहा है. बीसीसीआई और आईपीएल ने हमेशा खेल में बराबरी रखने की दिशा में कदम उठाए हैं. हमने तकनीक का इस्तेमाल किया जिससे कि सभी फैसलों को रिव्यू किया जाए सके और खेल पर गलत तरह से असर न पड़े. इस अभियान के पीछे यह विचार था कि खेल भावना बनी रहे.'
मोटे बल्लों से क्यों खेलते हैं बल्लेबाज
रिपोर्ट में तय सीमा से बड़े बल्ले का इस्तेमाल कर चुके एक बल्लेबाज के हवाले से लिखा है, 'वे बल्ले के उस निचले हिस्से को मोटा रखते थे जहां से गेंद कनेक्ट होती है. उस जगह पर ज्यादा लकड़ी रहती है और हैंडल के पास कम लकड़ी होती थी.' ऐसे बल्लेबाज जो पहली गेंद से ही छक्के लगाना चाहते हैं वे मोटे किनारे चाहते हैं. इसका मतलब होता है कि गेंद सही से हिट नहीं हो तब भी वह बाउंड्री के पार चली जाए. इसी पर अब लगाम लगाने की कवायद है.