न्यूजीलैंड के लिए 23 टेस्ट और 102 वनडे और 9 टी20 मैच खेल चुके बल्लेबाज लू विंसेट ने खुलासा किया है कि उन्हें भारत में मैच फिक्सिंग की दुनिया में घसीटा गया था. 29 साल की उम्र संन्यास लेने वाले विंसेट ने बताया कि 2000 के दशक के आखिर में अब बंद कर दी गई इंडियन क्रिकेट लीग के दौरान वो मैच फिक्सिंग की दुनिया में कैसे आकर्षित हुए थे और वो एक गिरोह का हिस्सा थे, जिसमें उन्हें डिप्रेशन के दिनों में अपनेपन का एहसास होता था. विंसेंट पर 2014 में मैच फिक्सिंग के लिए इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने आजीवन प्रतिबंध लगाया थ.
पिछले साल उनके बैन के समय को कम करके उन्हें घरेलू क्रिकेट में शामिल होने की अनुमति दी गई थी. 46 साल के खिलाड़ी ने अपने करियर की शुरुआत 2000 के दशक की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में शतक जड़कर की थी. इसके बाद हालांकि उन्हें डिप्रेशन से जूझना पड़ा और वो मैच फिक्सिंग की दुनिया में चले गए. इससे उनका इंटरनेशनल करियर 29 साल की उम्र में समय से पहले खत्म हो गया. विंसेंट ने द टेलीग्राफ को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि कैसे उनकी शुरुआती परवरिश ने उनके व्यक्तित्व और करियर को प्रभावित किया. उन्होंने कहा-
मैं पेशेवर खिलाड़ी बनने के लिए मानसिक रूप से मजबूत नहीं था. इसलिए 28 साल की उम्र में मैं डिप्रेशन में था और फिर भारत चला गया, जहां मुझे मैच फिक्सिंग की दुनिया में धकेल दिया गया.
विंसेंट ने कहा-
मुझे ऐसा लगा जैसे मैं एक गिरोह का हिस्सा हूं. इससे मुझे लगभग बेहतर महसूस हुआ, क्योंकि मैं सोच रहा था कि मैं एक मैच फिक्सिंग गिरोह का हिस्सा हूं, मैं एक ऐसे समूह के साथ हूं जो मेरी पीठ थपथपाएगा और कोई भी हमारे बारे में नहीं जानता.
विंसेंट फिलहाल न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों के संगठन की भ्रष्टाचार विरोधी शिक्षा पहल में शामिल हैं. उन्होंने कहा-
मैंने 12 साल की उम्र से खुद का पालन पोषण किया और इसलिए मैं हमेशा अपने आसपास के लोगों के बहकावे में आ जाता था. मैं प्यार पाना चाहता था और इसलिए आसानी से भटक जाता था.
विंसेंट को हालांकि मैच फिक्सिंग गिरोह का हिस्सा होने के खतरों का एहसास होने लगा था. उन्होंने कहा-