मिथुन मन्हास भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के प्रेसीडेंट बन गए. मुंबई में बीसीसीआई एजीएम में उनकी नियुक्ति पर मुहर लग गई. मिथुन मन्हास निर्विरोध बीसीसीआई प्रेसीडेंट बने. जस्टिस लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के बाद वे लगातार तीसरे क्रिकेटर हैं जो इस पद पर पहुंचे हैं. मन्हास घरेलू क्रिकेट के लेजेंड रहे हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं बन सके. क्रिकेट करियर के बाद वह कोच के रूप में कई टीमों के साथ रहे. इनमें आईपीएल फ्रेंचाइज भी शामिल है.
मिथुन मन्हास कैसे बने बीसीसीआई प्रेसीडेंट
रोजर बिन्नी के अगस्त 2025 में उम्र संबंधी नियम के चलते बीसीसीआई प्रेसीडेंट पद से हटने के बाद कुछ महीनों पर तक पोस्ट खाली रही. इसके बाद नए प्रेसीडेंट के लिए सौरव गांगुली, रघुराम भट और हरभजन सिंह का नाम चल रहा था. इन तीनों को उनकी स्टेट एसोसिएशन ने एजीएम के लिए नामांकित किया था. लेकिन इनमें से किसी ने भी अध्यक्ष पद के लिए पर्चा नहीं भरा. 20 सितंबर को दिल्ली में हुई एक मीटिंग ने खेल बदल दिया.
किस मीटिंग से मिथुन मन्हास बने दावेदार
इस मीटिंग में बीसीसीआई के वर्तमान अधिकारियों के साथ ही पूर्व सेक्रेटरी और आईसीसी चेयरमैन जय शाह भी शामिल रहे. कहा जाता है कि मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह ने भी इनपुट दिया. मीटिंग के दौरान कुछ दिग्गज क्रिकेटर्स के नाम सुझाए गए और उनसे बात हुई. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद मन्हास का नाम आया और सबने उन पर सहमति दे दी. किसी ने भी जम्मू कश्मीर से आने वाले इस पूर्व क्रिकेटर के नाम पर ऐतराज नहीं किया. इस मीटिंग से पहले मन्हास का नाम दूर-दूर तक रेस में नहीं था.