'अगर मैं सबकी सुनता तो 10 साल पहले करियर खत्म हो जाता...', पाकिस्तान क्रिकेट के 'चाचा' ने क्यों कहा ऐसा?

'अगर मैं सबकी सुनता तो 10 साल पहले करियर खत्म हो जाता...', पाकिस्तान क्रिकेट के 'चाचा' ने क्यों कहा ऐसा?

पाकिस्तान के धाकड़ मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज इफ्तिखार अहमद इन दिनों बांग्लादेश में जारी बांग्लादेश प्रीमियर लीग (Bangladesh Premier League) में अपने बल्ले से धमाल मचा रहे हैं. हाल ही में इफ्तिखार ने बीपीएल में 100 रनों की नाबाद पारी खेलकर ताबड़तोड़ शतक जड़ा था. इस तरह 32 साल के हो चुके इफ्तिखार को पाकिस्तान के घरेलू क्रिकेट सर्किल में 'चाचा-ए-क्रिकेट' कहा जाता है. उन्हें ज्यादातर खिलाड़ी इस नाम से भी जानते हैं. इसी बीच इफ्तिखार जहां पाकिस्तान के लिए टी20 टीम के सदस्य बने हुए हैं. वहीं उन्होंने वनडे और टेस्ट क्रिकेट में बराबर मौक़ा ना मिलने पर निराशा भी व्यक्त की है.

मध्यक्रम में खेलने के कारण कम मिले मौके 
इफितखार पाकिस्तान के लिए अपने करियर में अभी तक चार टेस्ट मैच, 10 वनडे जबकि 43 अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच खेल चुके हैं. इस तरह पाकिस्तान के लिए टेस्ट और वनडे में इतने मौके ना मिलने पर क्रिकबज से बातचीत में इफ्तिखार ने कहा, "अगर आप अभी तक मेरी वनडे मैचों की पारी को देखेंगे तो लोग कहेंगे कि मैंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है. मैं बतौर मध्यक्रम के बल्लेबाज के तौरपर खेलता हूं. इस तरह कभी मेरे पार चार ओवर होते हैं. कभी मेरे पास छह ओवर होते हैं. जबकि कभी-कभी तो मुझे दो से तीन गेंद ही खेलने को मिलती हैं. इसके बावजूद मुझे जब भी जिस परिस्थिति में मौका मिला मैंने अपना बेस्ट दिया है. पहले सात वनडे मैचों में मुझे दो बार मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. इसलिए ये कहना गलत है कि मैं अन्य फॉर्मेट में सही नहीं खेलता."

लोगों की सुनता तो 10 साल पहले क्रिकेट छोड़ देता
इफ्तिखार ने आगे कहा, "जो भी लोग मेरे बारे में बोलते हैं. वह सब मेरे कानों से सुनाई देता है. जिससे मुझे बुरा भी लगता है कि लोग पता नहीं कहना क्या चाह रहे हैं. मेरा ध्यान सिर्फ क्रिकेट खेलने पर है.अगर मैं उन सब लोगों की बातों के बारे में सुनता तो 10 साल पहले ही मेरा करियर समाप्त हो चुका होता और मैंने क्रिकेट खेलना ही छोड़ दिया होता. शोएब मलिक, मिस्बाह उल हक और यूनिस खान से मैंने काफी सीखा है कि दुनिया में सब कुछ हासिल करने के लिए कैसे आपको शारीरिक रूप के साथ-साथ मानसिक रूप से भी तैयार रहना होता है. लोग खुश नहीं होते हैं और ना ही मैं लोगों को खुश करने की कोशिश करता हूं."