टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर के लिए शुरुआत अच्छी नहीं रही क्योंकि उनकी कोचिंग में भारत ने पहले श्रीलंका को 3-0 टी20 में व्हाइटवॉश किया लेकिन इसके बाद टीम को वनडे सीरीज में 0-2 से हार का सामना करना पड़ा. पहला मैच टाई होने के बाद दूसरे और तीसरे वनडे में श्रीलंका ने जीत हासिल कर ली. इस सीरीज में श्रीलंका के कुछ धांसू गेंदबाज टीम के साथ नहीं थे. इसमें मथीशा पथिराना, वानिंदु हसरंगा और दिलशान मधुशंका का नाम शामिल है. तीनों ही खिलाड़ियों को चोट लगी थी.
वनडे सीरीज की हार ने एक बार फिर टीम इंडिया के बल्लेबाजों की स्पिनर्स के खिलाफ पोल खोल दी. तीन वनडे में भारत ने 30 विकेटों में से 27 विकेट स्पिनर्स के खिलाफ गंवाया. इस दौरान जेफ्री वांडरसे ने 33 रन देकर मैच में 6 विकेट लिए. इसके अलावा दुनिथ वेलालागे ने भी 5 विकेट हॉल लेकर भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी बता दी.
बता दें कि भारतीय बैटर्स कभी स्पिन के खिलाफ शानदार खेल दिखाने के लिए जाने जाते थे. श्रीलंका के खिलाफ साल 2008 का दौरा कोई नहीं भूल सकता क्योंकि उस दौरान अजंता मेंडिस ने भारतीय बल्लेबाजों को पस्त कर दिया था. लेकिन इससे पहले कभी भी भारतीय बल्लेबाजों को स्पिनर्स के खिलाफ दिक्कत नहीं हुई. इसमें सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली का नाम शामिल है. पिछले एक दशक से भारतीय बल्लेबाज स्पिनर्स के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहे हैं.
सहवाग ने कहा कि हमारे समय में सचिन, द्रविड़, गांगुली और युवराज सभी खिलाड़ी डोमेस्टिक खेलते थे. चाहे वनडे हो या 4 दिनों वाला मैच हम डोमेस्टिक खेलते थे. लेकिन अब खिलाड़ियों के पास समय नहीं है. कई तरह की लीग्स आ चुकी हैं. यही कारण है कि बीसीसीआई ने हर खिलाड़ी के लिए डोमेस्टिक क्रिकेट में भाग लेना जरूरी कर दिया है. श्रेयस अय्यर और इशान किशन ने इस फॉर्मेट को मना किया तो उनसे उनका सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छीन लिया गया. ऐसे में बोर्ड पहले ही खिलाड़ियों को चेतावनी दे चुका है.
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