भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहला दृष्टिहीन क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता लिया. उसने नेपाल को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया. श्रीलंका के पी सारा ओवल में खेले गए मुकाबले में भारतीय टीम को जीत के लिए 115 रन का लक्ष्य मिला था. इसे उसने केवल तीन विकेट गंवाकर 12वें ओवर में ही हासिल कर लिया. नेपाल ने पहले खेलते हुए पांच विकेट पर 114 रन का स्कोर बनाया था. भारतीय टीम ने जबरदस्त बॉलिंग की और नेपाल की बल्लेबाजों को केवल ही एक बाउंड्री लगाने दी. भारत की तरफ से फुला सारेन नाबाद 44 रन के साथ सर्वोच्च स्कोरर रही.
दृष्टिहीन महिला वर्ल्ड कप में कुल छह टीमों ने हिस्सा लिया. इनमें भारत, नेपाल के अलावा ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, श्रीलंका और अमेरिका शामिल रहे. टी20 फॉर्मेट में यह इवेंट खेला गया. भारत और श्रीलंका ने मिलकर इस टूर्नामेंट की मेजबानी की. पहले कुछ मुकाबले बेंगलुरु में खेले गए और इसके बाद कोलंबो में मैच कराए गए. टूर्नामेंट में सभी टीमों ने राउंड रोबिन के तहत आपस में मैच खेले. इसमें भारत ने सभी पांच मैच जीते और उसने सबसे पहले सेमीफाइनल में जगह बनाई.
भारतीय और नेपाल किसे हराकर फाइनल में पहुंचे
भारतीय टीम ने दृष्टिहीन महिला वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात दी थी. वहीं नेपाल की टीम पाकिस्तान को हराकर खिताबी मुकाबले में पहुंची थी. श्रीलंका की टीम केवल एक ही मैच टूर्नामेंट में जीत सकी. उसे अमेरिका के खिलाफ सफलता मिली थी. पाकिस्तान की महरीन अली ने टूर्नामेंट में 600 से ऊपर रन बनाए. इस दौरान श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 78 गेंद में 230 रन की पारी भी खेली. वहीं ऑस्ट्रेलिया के सामने 133 रन बनाए.
कैसे खेला जाता है दृष्टिहीन क्रिकेट
दृष्टिहीन क्रिकेट में लोहे की गोलियों से भरी प्लास्टिक की गेंद इस्तेमाल होती है. इसकी आवाज के जरिए खिलाड़ी गेंद की पहचान करते हैं. इसमें तीन कैटेगरी के खिलाड़ी रखे जाते हैं. इनमें बी1 (पूरी तरह से दृष्टिहीन), बी2 (बहुत कम दृष्टि) और बी3 (हल्की दृष्टि वाले खिलाड़ी) कैटेगरी होती है. बॉलिंग अंडर आर्म की जाती है. जब बी1 कैटेगरी के बल्लेबाज खेलते हैं तो दौड़ने के लिए रनर का इस्तेमाल होता है. वे जो भी रन दौड़ते हैं उन्हें दो के रूप में गिना जाता है.

