ऑस्ट्रेलिया टीम (Australia) के पूर्व कप्तान और धांसू ओपनर डेविड वॉर्नर (David Warner) फिलहाल सुर्खियों में हैं. डेविड वॉर्नर ने कुछ समय पहले टीम का फिर से कप्तान बनने की दावेदारी ठोकी थी. दरअसल वॉर्नर पर बॉल टैंपरिंग के चलते आजीवन कप्तानी बैन लगाया गया है. लेकिन कोड ऑफ कंडक्ट के नियमों में बदलाव के बाद वॉर्नर ने फिर से कप्तान बनने की इच्छा जाहिर की थी. और इसी के बाद उन्होंने ऐप्लिकेशन भी फाइल किया था. लेकिन अब उन्होंने कप्तान बनने की अपनी दावेदारी को वापस ले लिया है. वॉर्नर ने इसे क्यों वापस लिया और उन्हें इस दौरान रिव्यू पैनल की तरफ से क्या परेशानी झेलनी पड़ी. इसको लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया ऑफिशियल अकाउंट पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट डाला है. इस पोस्ट में वॉर्नर ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पर जमकर हमला बोला है और कहा है कि, परिवार से बड़ा कुछ नहीं है और उन्हें भविष्य में कप्तान भी नहीं बनना है.
वॉर्नर का इंस्टाग्राम पोस्ट
'वॉर्नर ने अपने 5 पेज वाले पोस्ट में कहा कि, क्रिकेट से बड़ा मेरा परिवार है. केपटाउन में हुए तीसरे टेस्ट और पिछले 5 सालों के भीतर मेरे ऊपर काफी ज्यादा हमले किए गए. मुझे इस दौरान अपनी पत्नी कैंडीस और मेरी तीन बेटियां मे, इंडी रे और इस्ला रोज का समर्थन मिला. वो मेरी दुनिया हैं. उस टेस्ट के बाद मुझपर से कप्तानी का बैन नहीं हटाया गया. इसके बाद मैं खेल को एक अलग नजरिए से देखने लगा. मैं इस बैन को भुगत चुका हूं और इसकी सजा भी काट चुका हूं. पिछले 5 सालों में इसके चलते मेरे परिवार को काफी कुछ झेलना पड़ा और ये अब तक कम नहीं हुआ है.
लेकिन इन सबके बावजूद भी मैंने अपनी उम्मीदें नहीं खोई और विश्वास रखा कि मुझे रिव्यू पैनल के सामने खुद को साबित करने का मौका मिलेगा. मैंने उनके सामने ये दिखाया कि मैंने जो भी कुछ किया उसके लिए मुझे खेद है और मैंने इसके बाद खुद में काफी बदलाव किया है.
इसके बाद मुझे उम्मीद थी कि कोड ऑफ कंडक्ट के नए नियम आने के बाद मुझे दोबारा मौका मिलेगा. मैं ये साबित करना चाहता था कि बैन को हटाने के लिए जिन चीजों की जरूरत है मैंने वो पूरी कर दी है और इस तरह से मैं अपने करियर को आगे बैलेंस कर सकता हूं. लेकिन पिछले हफ्ते मेरे और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के विरोध के बावजूद रिव्यू पैनल की सहायता करने वाले वकील ने मेरे ऐप्लिकेशन और इस पूरी प्रक्रिया को खुद और पैनल पर ले लिया और इसे मनगढंत करार दे दिया. ये किसी ने नहीं सोचा कि इसका सीधा असर मेरे परिवार और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के हितों पर पड़ेगा.
अपने सबमिशन में, काउंसल असिस्टिंग ने मेरे बारे में आपत्तिजनक और अनुपयोगी टिप्पणियां कीं जिनका आचार संहिता के तहत कोई ठोस उद्देश्य नहीं था. अफसोस की बात है, रिव्यू पैनल ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और मेरे वकील की बातों के उलट काम किया. काउंसिल असिस्टिंग और रिव्यू पैनल इसके बाद मेरा पब्लिक ट्रायल करना चाहता था. लेकिन मैं इन्हें साफ करना चाहता था कि क्रिकेट की गंदी लॉन्ड्री के लिए न तो मैं और न ही मेरा परिवार वॉशिंग मशीन बनेगा.
काउंसिंल असिस्टिंग और रिव्यू पैनल फिर से मार्च 2018 के मामले को उठाना चाहता है. वहीं रिव्यू पैनल इसे मीडिया सर्कस बनाकर मुझे और मेरे परिवार को और परेशान करना चाहता है. मेरी दावेदारी को मानने के लिए रिव्यू पैनल के पास एक हफ्ते का वक्त था लेकिन रिव्यू पैनल ने इसे खारिज करने का फैसला किया. इससे साफ जाहिर होता है कि, पैनल को क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के हितों की परवाह नहीं और वो पब्लिक लिंचिंग करना चाहता है. ऐसे में मेरे पास ऐप्लिकेशन को वापस लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. मैं यहां अपने परिवार और अपनी टीम के खिलाड़ियों को और ज्यादा परेशानी में नहीं डाल सकता. कुछ चीजें क्रिकेट से ज्यादा जरूरी होती हैं.'