भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट मैच शुरू हो गया है. इस मुकाबले में बर्मिंघम के मैदान की बाउंड्रीज़ का आकार छोटा होने की खबरें आ रही हैं. रिपोर्टों के अनुसार, सबसे बड़ी बाउंड्री 65 मीटर की है, जो काउ कॉर्नर एरिया में है, जबकि स्ट्रेट बाउंड्रीज़ 60 मीटर की हैं. आमतौर पर बाउंड्री और विज्ञापन बोर्ड के बीच नौ फीट का अंतर होता है, लेकिन इस मैच में यह अंतर 20 से 25 फीट बताया जा रहा है. इस बदलाव के पीछे इंग्लैंड की रणनीति बताई जा रही है. यह कहा जा रहा है कि इंग्लैंड टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करना चाहता था ताकि चौथी पारी में लक्ष्य का पीछा करने में आसानी हो. इंग्लैंड टीम स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ सहज नहीं मानी जाती है. भारत ने इस मैच में दो स्पिनर, वाशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा, को खिलाया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि बाउंड्रीज़ का आकार छोटा करने का कारण यह है कि चौथी पारी में जब भारतीय स्पिनर गेंदबाजी करें, तो इंग्लैंड के बल्लेबाजों को रन बनाने में परेशानी न हो. इंग्लैंड की टीम लक्ष्य का पीछा करने में खुद को मजबूत करना चाहती है, और इसी वजह से बाउंड्रीज़ को छोटा किया गया है. यह देखना होगा कि इंग्लैंड की यह रणनीति इस मुकाबले में सफल होती है या नहीं.
स्पोर्ट्स तक: इंग्लैंड ने छोटी की बाउंड्रीज़, स्पिनर्स को रोकने की रणनीति?
भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट मैच शुरू हो गया है. इस मुकाबले में बर्मिंघम के मैदान की बाउंड्रीज़ का आकार छोटा होने की खबरें आ रही हैं. रिपोर्टों के अनुसार, सबसे बड़ी बाउंड्री 65 मीटर की है, जो काउ कॉर्नर एरिया में है, जबकि स्ट्रेट बाउंड्रीज़ 60 मीटर की हैं. आमतौर पर बाउंड्री और विज्ञापन बोर्ड के बीच नौ फीट का अंतर होता है, लेकिन इस मैच में यह अंतर 20 से 25 फीट बताया जा रहा है. इस बदलाव के पीछे इंग्लैंड की रणनीति बताई जा रही है. यह कहा जा रहा है कि इंग्लैंड टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करना चाहता था ताकि चौथी पारी में लक्ष्य का पीछा करने में आसानी हो. इंग्लैंड टीम स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ सहज नहीं मानी जाती है. भारत ने इस मैच में दो स्पिनर, वाशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा, को खिलाया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि बाउंड्रीज़ का आकार छोटा करने का कारण यह है कि चौथी पारी में जब भारतीय स्पिनर गेंदबाजी करें, तो इंग्लैंड के बल्लेबाजों को रन बनाने में परेशानी न हो. इंग्लैंड की टीम लक्ष्य का पीछा करने में खुद को मजबूत करना चाहती है, और इसी वजह से बाउंड्रीज़ को छोटा किया गया है. यह देखना होगा कि इंग्लैंड की यह रणनीति इस मुकाबले में सफल होती है या नहीं.

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