भारतीय मुक्केबाज प्रीति पवार को पेरिस ओलिंपिक में खत्म में सफर खत्म हो गया हैं. 54 किग्रा वेट कैटेगरी में प्रीति को कोलंबिया की येनी एरियस के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 20 साल की भारतीय मुक्केबाज 3: 2 के विभाजित निर्णय में मुकाबला हार गई. इस मैच के बाद रिजल्ट पर बवाल मच गया है. काफी संख्या में भारतीय फैंस ने सोशल मीडिया पर जजों के स्कोरिंग सिस्टम को लेकर नाराजगी जाहिर की.
पहले राउंड में पांच में चार जज कोलंबिया के पक्ष में रहे. हालांकि इस राउंड में प्रीति हावी नजर आ रही थीं. उन्होंने काफी क्लीन पंच लगाए थे. शानदार जैब लगाए, मगर पहला राउंड कोलंबिया की मुक्केबाज के पक्ष में रहने के बाद दूसरे राउंड में प्रीति ने जबरदस्त वापसी की और पांच में से तीन जज उनके पक्ष में रहे.
तीसरे और फाइनल राउंड में दोनों ने बीच कड़ा मुकाबला होगा. उन्होंने कड़ी टक्कर दी, मगर तीसरे राउंड में पांच में से चार कोलंबिया की मुक्केबाज के पक्ष में रहे . महज एक जज प्रीति के पक्ष में रहे. पांचों जजों ने 29-28, 29-28, 27-30, 27-30 और 28-29 का स्कोर दिया और प्रीति के हाथ से 3-2 से मुकाबला निकल गया.
एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा-
अर्जेंटीना और एक अन्य साउथ अमेरिकन जज भी वहां मौजूद थे. सभी तीन राउंड में कोलंबियाई खिलाड़ी के लिए स्कोर किया गया. ईरान और अजरबैजान प्रीति के लिए. ओलिंपिक मुक्केबाजी और जजिंग में कोई बदलाव नही. कॉम्बेट स्पोर्ट्स को जजों पर कभी न छोड़ें.
एक यूजर ने लिखा-
पहला राउंड साफ तौर से प्रीति के पक्ष में था. पहले राउंड में जो एकमात्र चीज थी, वो एरियास का चिल्लाना. तीसरे राउंड को छोड़कर प्रीति 2 राउंड में टॉप पर थीं. दिलचस्प बात ये है कि 2 चेतावनी के बावजूद अर्जेंटीना और ग्वाटेमाला के जज ने सिर्फ चिल्लाने के आधार पर दूसरे राउंड को एरियास के पक्ष में माना. चिल्लाना = आक्रामक (?).
वहीं एक यूजर का कहना है कि इस ओलिंपिक में ब्लाइंड जजों की भूमिका काफी लंबी रही.
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