पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत को अपने तीरंदाजों से काफी उम्मीदें थी. लेकिन हर बार की तरह एक बार फिर से निराशा मिली. भारत को तीरंदाजी में कोई मेडल नहीं मिला. धीरज बोम्मडेवरा और अंकिता भकत मिक्स्ड टीम इवेंट में कांस्य पदक के मुकाबले तक पहुंचे. इनके अलावा और किसी स्पर्धा में भारतीय तीरंदाज मेडल के आसपास भी नहीं थे. इस नतीजे के बाद तीरंदाजों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि तीरंदाजी में किस तरह की अव्यवस्था है और राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों के बीच ज्यादा टक्कर नहीं रहती है. इस वजह से नई प्रतिभाएं बहुत कम सामने आ रही है.
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और ओलिंपिक गोल्ड क्वेश्ट के सीईओ वीरेन रसकिन्हा ने 2 अगस्त को ट्वीट कर बताया था कि सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण ने आठ खेलों को आर्थिक मदद और समर्थन के लिहाज से चुना है. इनमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, हॉकी, निशानेबाजी, भारोत्तोलन और तीरंदाजी शामिल है. केवल तीरंदाजी ही ऐसा खेल है जिसमें अभी तक भारत ओलिंपिक में पदक नहीं जीत पाया है. उन्होंने इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि तीरंदाजी में जिम्मेदारी तय करना जरूरी है. साथ ही पेशेवरों की नियुक्ति होनी चाहिए. उन्होंने राइफल एसोसिएशन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने टोक्यो के बाद ऐसा किया और सबने नतीजे देखे हैं. भारत ने पेरिस में अभी तक तीन मेडल जीते हैं और तीनों शूटिंग में ही आए हैं.
सीनियर खिलाड़ी करते हैं कोचेज का फैसला
ESPN की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तीरंदाजी संघ कोचेज को लेकर फैसला सीनियर खिलाड़ियों पर छोड़ देता है. लंबे समय से खेल रहे खिलाड़ी ही तय करते हैं कि कौन कोच होगा और इस दौरान कैसा स्टैंडर्ड रहेगा. रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से लिखा गया है कि सीनियर ऐसे लोगों को कोच के तौर पर चुनते हैं जो उनकी पानी की बोतलें और किट उठाते हैं. वे बदलाव नहीं चाहते हैं. जब विदेशी कोचेज को लाया जाता है तो सीनियर खिलाड़ी गैंग बना लेते हैं. वे तकनीक बिगाड़ने की शिकायत करते हैं.
पेरिस ओलिंपिक से पहले कोच का हुआ विवाद
पेरिस ओलिंपिक से ठीक पहले तीरंदाजों के कोच को लेकर विवाद हुआ. साउथ कोरियाई कोच को पेरिस ओलिंपिक जाने की अनुमति नहीं दी गई. इससे इतर पूर्णिमा महतो और सोनम त्शेरिंग भूटिया को भेजा गया. महतो चौथी बार बतौर कोच के रूप में ओलिंपिक में गई. तीरंदाजी संघ की ओर से कहा गया कि महिला टीम उनके साथ सहज है. वहीं पुरुष टीम में सभी सेना से हैं और वहां पर भूटिया ही उनके कोच हैं.
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